स्वप्न का परिवेश गढ़़ दो
मौन करुणा के इशारे में लिखा सन्देश पढ़ दो स्वप्न में आया हुआ जो वह नया परिवेश गढ़़ दो मील के पत्थर लिखे हैं काल ने ख़ुद लेखनी से माप बाकी है न कोई नियति की निज मापनी से छोड़ दे जो रक्तपथ को एक ऐसा देश गढ़़ दो स्वप्न में आया हुआ जो वह नया परिवेश गढ़़ दो स्वार्थ-कुण्डों में बनी आज-आहुति मान…