बलिया : पुण्यतिथि पर याद किए गए बाबू जगदीश सिंह


बाबू जगदीश सिंह : गरीबों के मसीहा और समाजसेवा के अप्रतिम उदाहरण

बलिया। बचपन में मां की रसोई से खाना चुराकर अपने मोहल्ले के गरीब भूखे बच्चों में बांट देना अपने गुल्लक में रखें पैसों को तोड़कर किसी लाचार के इलाज में खर्च कर देना ऐसी फितरत थी बाबू जगदीश सिंह की।

बाबू जगदीश सिंह का जन्म 1 जनवरी 1951 को हुआ था। उनका पूरा जीवन समाज की सेवा और गरीब, दीन-दुखियों की भलाई के लिए समर्पित रहा। उनका लक्ष्य केवल व्यक्तिगत उन्नति न होकर समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को आगे बढ़ाना था।

अपने गाँव के पाँच बार प्रधान रह चुके बाबू जगदीश सिंह ने जिला पंचायत सदस्य के रूप में भी अपने क्षेत्र के विकास के लिए उल्लेखनीय कार्य किए।

शिक्षा के प्रति विशेष योगदान के कारण ही वे नागाजी विद्यालय, माल्देपुर के तीन बार प्रबंधक और एक बार अध्यक्ष बने। अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल में विद्यालय ने शैक्षिक और अधोसंरचनात्मक रूप से उल्लेखनीय प्रगति की। दुर्भाग्यवश, इसी कार्यकाल के दौरान 20 जनवरी 2022 को उनका देहावसान हो गया, जिससे समाज ने एक महान नेता और पथप्रदर्शक को खो दिया।

शिक्षा और समाजसेवा के प्रति उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने ग्रामीण शिक्षा को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू कीं, जिससे विद्यार्थियों को बेहतर सुविधाएं और मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। वे एक कर्मठ समाजसेवक थे, जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास और सेवा की अनगिनत मिसालें कायम कीं। 

उनकी श्रद्धांजलि सभा में बड़ी संख्या में गणमान्य लोग उपस्थित हुए, जिनमें पूर्व ब्लॉक प्रमुख योगेंद्र सिंह, पूर्व कुलपति प्रो. ललन सिंह, अजय सिंह, बृजराज सिंह, अश्वनी कुमार मिश्रा (अध्यक्ष, नागजी विद्यालय रसड़ा), प्रधानाचार्य मालदीपुर विद्यालय एवं रसड़ा के प्रधानाचार्य दुर्गा दत्त सिंह, विंध्यवासिनी राय समेत क्षेत्र के अनेक सम्मानित नागरिक शामिल हुए। 

उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरूप सुंदरकांड पाठ, हवन-पूजन का आयोजन किया गया, जिसमें क्षेत्र के श्रद्धालुजनों ने भाग लेकर उनकी स्मृति को नमन किया। इसके उपरांत भव्य प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया, जिससे हजारों लोगों ने लाभ उठाया। 

स्वर्गीय बाबू जगदीश सिंह समाज के उन महान विभूतियों में से एक थे, जिन्होंने सेवा और परोपकार के माध्यम से समाज के कमजोर तबके को संबल प्रदान किया। उनकी सोच थी कि शिक्षा और सेवा ही समाज को सशक्त बना सकती है। उन्होंने अपने जीवन में इसे सिद्ध कर दिखाया और क्षेत्र के लोगों को प्रेरित किया। उनके कार्यों और आदर्शों को याद करते हुए क्षेत्रवासी उन्हें 'गरीबों के मसीहा' के रूप में हमेशा स्मरण करेंगे।

उनकी जीवनगाथा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेगी और उनका योगदान समाज में स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा।



Comments