इंजीनियरों द्वारा सही जांच कार्य नहीं होने से वेंडर परेशान
लखनऊ। जल निगम जौनपुर द्वारा वेलस्पन/एफकान एजेंसी को हर घर जल योजना के अंतर्गत क्षेत्र में ट्यूबवेल लगाने, बोरिंग करने, कंप्रेशर आदि का कार्य दिया गया है। जो एजेंसी द्वारा वेन्डरों से कराया जाता है। किंतु कंपनी के कार्य प्रणाली से वेन्डर परेशानी के सबक बने हुए हैं। इस योजना के तहत कराए गए कार्य में यदि बोरिंग फेल या खराब हो जाने पर वेंडर को बुरी तरह परेशान किया जाता है। वेंडर के ऊपर खराबी की जिम्मेदारी थोप दी जाती है। जबकि निर्माण कार्य में जल निगम व एजेंसी के इंजीनियर मौजूद रहते हैं। उनकी ही देखरेख में होता है, मटेरियल भी जल निगम व एजेंसी द्वारा ही दिया जाता है। फिर भी जल निगम व एजेंसी के इंजीनियर अपना कार्य सही ढंग से नहीं करते हैं किसी गड़बड़ी का ठीकरा वेंडरों पर फोड़ देते हैं।
किसी भी टंकी तथा बोरिंग में गड़बड़ी को वेंडर को अपना मजदूर तथा पैसा लगाकर ठीक करना पड़ता है जबकि सारा निर्माण कार्य जांच करने के बाद ही संपन्न होता है।
एक वेंडर ने अपना नाम न बताने के शर्त पर बताया कि इन निर्माण कार्यों का उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रयाप्त बजट आता है। उक्त निर्माण कार्य का र्टेंडर एजेंसियों को प्रयाप्त बजट में दिया जाता है। एजेंसी वेंडरों से वही कार्य आधे तीहे बजट में कराती है। बाकी पैसा जल निगम विभाग और एजेंसियां आपस में बांट लेती है। तब भी विभाग और एजेंसी वेंडरों का ही शोषण करती है।
खेत खाए गदहा मार खाए जोलहा वाली कहावत सीधे-सीधे यहां चरितार्थ हो रही है। यह वाक्या जल निगम जौनपुर से संबंधित है।
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