वाराणसी 23 अक्टूबर,2024; मंडल कार्यालय के भारतेन्दु सभा कक्ष में आज दिनांक 23 अक्टूबर 2024 को संरक्षा बैठक का आयोजन किया गया । इस बैठक में वाराणसी मंडल पर मॉक ड्रिल एक्सरसाइज करके त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र की जांच करने और प्रतिकूल परिस्थितियों में बचाव कार्यवाही को परखने तथा हितधारकों के बीच समन्वय बनाने एवं उपचारात्मक उपाय करके संसाधनों की दक्षता की जाँच करने के उद्देश्य से बनारस कोचिंग डिपो यार्ड की सिक लाइन में NDRF की 11 वीं बटालियन के साथ कल 24 अक्टूबर 2024 (बृहस्पतिवार) को फुल स्केल मॉक ड्रिल करने की योजना बनाई गई । इस बैठक में अपर मंडल रेल प्रबंधक (ऑपरेशन) श्री राजेश कुमार सिंह, अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रा) श्री आर एल यादव,मुख्य चिकित्सा अधीक्षक श्री आ.जे चौधुरी,वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी श्री बालेन्द्र पाल,वरिष्ठ मंडल इंजीनियर श्री राकेश रंजन,वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक श्री शेख रहमान,वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक श्री राजेश कुमार,वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर (ऑपरेशन) श्री अनिल श्रीवास्तव,वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर(TRD)श्री आर एन सिंह,सहायक मंडल इंजीनियर श्रीमती मुक्ता सिंह, बनारस कोचिंग डिपो अधिकारी श्री विनीत रंजन ,सहायक संरक्षा अधिकारी श्री अभिषेक कुमार,सहायक सुरक्षा आयुक्त/ रेलवे सुरक्षा बल श्री एस के तितियाल,मंडल चिकित्साधिकारी डा आशीष गुप्ता, NDRF की 11 वीं बटालियन के डिप्टी कमान्डेंट श्री रामभवन सिंह,निरीक्षक श्री सभाजीत यादव ,प्रवीन उपाध्याय,धीरेन्द्र प्रताप सिंह,बलराम सिंह समेत वारणसी मंडल के संरक्षा विभाग से सभी पर्यवेक्षक एवं निरीक्षक उपस्थित थे।
इस बैठक में NDRF की 11 वीं बटालियन के डिप्टी कमान्डेंट श्री रामभवन सिंह ने पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से विषम परिस्थितिकी में होने वाली रेल दुर्घटनाओं जैसे ब्रिज ,सुरंग,नदी के पुल पर होने वाले डिरेलमेंट,टकराव अथवा आग लगने ,भूकम्प या बाढ़ के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में क्विक रिस्पोंस कर घटना के प्रभाव को कम करने, राहत और बचाव की त्वरित कार्यवाही कर अधिकतम जीवन बचाने की प्रक्रिया से अवगत कराया । इसका साथ ही उन्होंने रेलवे अधिकारियों से त्वरित कार्यवाही करने और अधिकतम जीवन बचाने के लिए किया जाने वाले उपायों के संदर्भ में सुझाव आमंत्रित किये ।
इस अवसर पर अपर मंडल रेल प्रबंधक (इन्फ्रा) श्री आर एल यादव एवं अपर मंडल रेल प्रबंधक(ऑपरेशन)श्री राजेश कुमार सिंह ने रेलवे से सम्बंधित पूर्व दुर्घटनाओं का उदाहरण देते हुए बताया की दुर्घटना साईट पर पहुंचने में लगने वाले समय को कम करना होगा तभी अधिकतम राहत पहुंचाई जा सकती है । प्रायः दुर्घटना के समय स्थानीय नागरिकों द्वारा जो मदद पीड़ितों को प्राप्त होती है वह बहुत सहायक सिद्ध होती है । अतः दुर्घटना बाहुल्य इलाकों में रेलवे लाइनों एवं स्टेशनों के करीब के क्षेत्रीय नागरिकों भी आपदा प्रबंधन हेतु प्रशिक्षित करना बहुत लाभप्रद होगा । इया अवसर पर अन्य अधिकारियों ने भी अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए प्रैक्टिकल सुझाव दिए ।
इस बैठक में N D R F टीम के साथ बनारस कोचिंग डिपो की सिक लाइन में मॉक ड्रिल के दौरान ट्रेन दुर्घटना पर एक परिदृश्य तैयार करने की योजना बनाई गई जिसमें एक ट्रेन हादसे के दौरान कुछ यात्री अंदर फंस जाने के दौरान इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर को घटना के बारे में सूचित करने । एनडीआरएफ के नियंत्रण कक्ष और सभी संबंधित हितधारकों को आपात प्रतिक्रिया के लिए सूचित किये जाने। एनडीआरएफ की टीम के पहुंचने से पहले सतही पीड़ितों को प्रथम उत्तरदाताओं द्वारा सुरक्षित निकालने । घटना स्थल पर पहुंचने से लेकर एनडीआरएफ की टीम द्वारा प्रारंभिक आकलन और ऑपरेशन का बेस, कमांड पोस्ट, मेडिकल पोस्ट, कम्युनिकेशन पोस्ट स्थापित किए जाने । टीम द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने और कटिंग टूल्स और उपकरणों का इस्तेमाल कर ट्रेन के डिब्बों में अनुलंब और क्षैतिज कटिंग कर गंभीर रूप से फंसे पीड़ितों को विभिन्न रस्सी बचाव तकनीक के माध्यम से घायलों को बचाने का अभ्यास किये जाने का प्रस्ताव बनाया गया। इसी के अंतर्गत मेडिकल एजेंसियों द्वारा प्राथमिक उपचार देने के तथा पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने का अभ्यास भी किया जाएगा।
इस पूरे अभ्यास के दौरान इंसिडेंट रिस्पांस सिस्टम के दिशा-निर्देशों पर जोर दिया जाएगा और इसका पालन करना सुनिश्चित किया जाएगा। उक्त आशय की जानकारी अशोक कुमार जनसंपर्क अधिकारी पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी ने दी।
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