देवी भागवत पुराण के श्रवण मात्र से सभी कष्टों का होता है समूल विनाश : आचार्य अजय शुक्ल

सलेमपुर, देवरिया। देवी भागवत पुराण आदि शक्ति जगत जननी जगदम्बा को समर्पित एक संस्कृत पाठ है। हिन्दू धर्म के अठारह पुराणों में से प्रमुख महापुराणों में से एक हैं। उक्त बातें नगर के सलाहाबाद वार्ड में आयोजित देवी भागवत कथा पुराण पाठ श्रद्धालुओं को सुनाते आचार्य अजय शुक्ल ने कहा। उन्होंने कहा कि इस पुराण के कथा के मात्र श्रवण से ही भक्तों के सभी कष्टों व जीवन में आ रही भव बाधा का समूल विनाश हो जाता है। महर्षि वेद व्यास जी ने इसकी रचना की है। यह महापुराण परम् पवित्र वेद की प्रसिद्ध श्रुतियों के अर्थ से अनुमोदित, अखिल शास्त्रों के रहस्य का स्रोत तथा आयामों में अपना प्रसिद्ध स्थान रखता है। यह सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, वंशानुकृति, मन्वन्तर आदि पांच लक्षणों से परिपूर्ण है। जब ऋषियों व मुनियों ने सूत जी से आग्रह किया कि हे ज्ञानसागर आपके श्रीमुख से भगवान विष्णु व शंकर जी के देवी चरित्र तथा अद्भुत लीलाओं को सुनकर हम बहुत सुखी हुए। इस कथा को विस्तार से सुनाएं तो सूत जी ने भक्तों को कथा सुनाते हुए कहा कि इस ग्रंथ के आगे बड़े बड़े तीर्थ व व्रत नगण्य हैं। इस पुराण को सुनने से पाप सूखे हुए वन की भांति जलकर भस्म हो जाता है। इसके कारण मनुष्य को शोक, क्लेश, दुःख, आदि नही भोगने पड़ते हैं।


आचार्य अजय शुक्ल ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जिस प्रकार सूर्य के उदय होने से अंधकार खत्म हो जाता है, उसी प्रकार देवी भागवत पुराण के श्रवण से मानव जीवन में आए हुए कष्ट रूपी अंधकार का विनाश हो जाता है। मां दुर्गा अपने भक्तों पर बहुत ही शीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं, भक्त अगर सच्चे दिल से मां को याद करे तो यह पुराण हमें सदमार्ग पर चलने का ज्ञान प्राप्त कराता है। 

कथा के दौरान डॉ धर्मेन्द्र पांडेय, शिरोमणि देवी, सत्यम पांडेय, मोहित पांडेय, अष्टभुजा पांडेय, प्रेमशीला देवी, मनोज पांडेय, किरन देवी, आरती देवी, रानी देवी, सतीश पांडेय, नेहा देवी, प्रतीक, श्रेया, श्रेयांश, कुमारी लल्ली आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।




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