सलेमपुर, देवरिया। सनातन धर्म व संस्कृति का प्रमुख पर्व दीपावली जो रावण को हराकर भगवान राम के अयोध्या नगरी लौटने पर उसके खुशी में अयोध्या वासी मनाये थे तभी से यह पर्व सभी हिंदुओं द्वारा मनाया जाने लगा। इस वर्ष पर्व को मनाने को लेकर लोगों में व्याप्त भ्रम की स्थिति व्याप्त हो गई है। इस पर्व को मनाने को लेकर स्थिति स्पष्ट करते हुए आचार्य अजय शुक्ल ने बताया कि सभी पंचांग व ज्योतिष के अध्ययन करने के बाद यह तय हुआ है कि कार्तिक मास के अमावस्या की शुरूआत 31 अक्टूबर को शाम 3 बजकर 52 मिनट पर हो रही है, तिथि का समापन 1 नवम्बर को शाम 6 बजकर 16 मिनट पर हो रहा है। अर्धरात्रि को अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को ही पड़ रही है, लक्ष्मी जी की पूजा इस समय करना ही विशेष फलदायी है।
प्रदोष काल भी 2 घण्टे 24 मिनट तक 31 अक्टूबर को ही है। इस त्योहार को मनाने के लिए प्रदोष काल में अमावस्या तिथि होना जरूरी है। देश के किसी भी हिस्से में 1 नवम्बर को पूर्ण प्रदोष काल में अमावस्या तिथि की प्राप्ति नही हो रही है। इसलिए 1 नवम्बर को शास्त्र के अनुसार दीपावली पर्व मनाना उचित प्रतीत नहीं हो रहा है। इसलिए निर्विवाद रूप से 31 को ही पूरे देश में दीपावली पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मां लक्ष्मी जी व काली मां की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन भक्तों पर मां लक्ष्मी जी की कृपा सच्चे दिल से आराधना करने पर भरपूर बरसती है।
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