लखनऊ। सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के तत्वाधान में शिक्षक समान समारोह का आयोजन गौतम बुद्ध डिग्री कॉलेज बिजनौर सरोजिनी नगर में किया गया है।
मुख्य अतिथि के तौर पर इंजीनियर अवनीश कुमार सिंह सदस्य विधान परिषद लखनऊ खंड स्नातक क्षेत्र से तथा शैलेंद्र दुबे अध्यक्ष सर्वजन हिताय संरक्षण समिति, रश्मि शर्मा प्राचार्य गौतम बुद्ध डिग्री कॉलेज तथा सेवक राम सर्वांगीण विकास कॉलेज के संस्थापक उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना, महान शिक्षाविद डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को पुष्पांजलि अर्पित कर और अतिथि और शिक्षक स्वागत गीत के साथ हुई।
मुख्य अतिथि अवनीश सिंह ने सभी शिक्षकों को नमन करते हुए प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में शिक्षक की मेहनती भूमिका होती है और डिजिटलाइजेशन के युग में आज महंगे महंगे कक्षा के शिक्षण कार्य यूट्यूब तथा अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से गांव और दूर दराज राज्य के बच्चों तक भी पहुंच सकते हैं। सर्वजन संरक्षण समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने सभी को बताया कि अन्याय के खिलाफ लड़ने की ताकत हमें शिक्षक द्वारा ही नैतिक शिक्षा और आत्म बल के माध्यम से ही प्राप्त हो सकती है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पूरे देश की नहीं दुनिया को शिक्षा के माध्यम से ज्ञान की ज्योति कैसे फैलाई जाती है यह बताया, उनके जीवन चरित्र के प्रत्येक पन्ने में बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं हैं जिन्हें हमें आज आदर्श के रूप में देखते हुए जीवन में पालन करना चाहिए। महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष रीना त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षण कार्य बल किसी राष्ट्र के भविष्य को बनाने में एक शक्तिशाली कारक है एक शिक्षक ही वह प्राथमिक व्यक्ति होता है जो बच्चों को शिक्षा और ज्ञान प्रदान करता है माता-पिता के अलावा भी अपने पूरे परिवार को ज्ञान सिखा कर सबसे अच्छा मार्गदर्शन प्रदान करते हैं वह नैतिक समर्थन प्रदान करते हैं और बच्चों को अंतिम रूप से सलाह देते हैं। आज के डिजिटलाइजेशन के युग में कोरोना महामारी के बाद अधिकतर आंकड़े पेपरलेस वर्क की कार्यशैली को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन ही किये जा रहे हैं।
प्रतिदिन शिक्षकों को अधिकतर आंकड़े ऑनलाइन देने पड़ते हैं उत्तर प्रदेश के अभिनव प्रयोग के तहत प्रत्येक स्कूल में टैबलेट के माध्यम से विभिन्न रजिस्टरों के रखरखाव की प्रक्रिया चल रही है जिसे शिक्षक करता है और इन सब से प्रक्रिया तो आसान हुई है पर नेटवर्किंग की समस्या के कारण बहुत से शिक्षक अनायास आंकड़े ना भेज पाने के कारण कार्रवाइयों की शिकार हो जाते हैं। समय-समय पर सरकार द्वारा डिजिटल हाजिरी के आदेश जारी किए जाते हैं इस तरह की उपस्थिति और समय की पाबंदी का खामियाजा शिक्षकों को झेलना पड़ता है क्योंकि गांव और दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क नहीं होता।
सभी शिक्षकों ने एक सुर में यह कहा कि यदि शिक्षकों को उनके मूल कार्य हेतु स्वतंत्र छोड़ दिया जाए और विद्यालय में शिक्षक शिक्षार्थी और पढ़ाई पर ही ध्यान केंद्रित किया जाए विभिन्न आंकड़ों की समय बर्बादी में शिक्षकों को ना लगाया जाए तो निश्चित रूप से देश में शिक्षा की स्थिति गुणवत्ता का स्तर और बच्चों की मानसिक स्तर में भी सुधार होगा।
कार्यक्रम में रमा शर्मा, उषा त्रिपाठी, क्षमा सिंह, सुमन दुबे रेनू त्रिपाठी, खुरदई बाजार से राजू शुक्ला, सुरेश जयसवाल प्रकाश चंद तिवारी, अनिल सिंह भूपेश ओझा, ज्ञान प्रताप, संजय सिंह साथ ही सैकड़ो शिक्षक उपस्थित रहे।
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