बलिया : मौसम का उतार-चढ़ाव एवं लापरवाही बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है भारी : डॉ0 ए.के. उपाध्याय


👉 बच्चों के देखभाल व खान-पान पर दें विशेष ध्यान :-

बलिया। मौसम में बदलते तापमान के कारण इस समय बच्चे वायरल संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। बच्चों में प्रायः बुखार, शरीर दर्द, सर्दी-खांसी, दस्त-उल्टी, निमोनिया आदि हो रहे हैं। गार्जियन्स की लापरवाही एवं उचित चिकित्सकीय देखभाल नहीं होने के कारण बच्चों के रोग और जटिल हो जाते हैं। 

इस संबंध में जिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 ए.के. उपाध्याय ने बातचीत के दौरान बताया कि- बच्चों में इस तरह की शिकायत होने पर उचित चिकित्सकीय परामर्श लेकर तथा कुछ घरेलू उचित टिप्स अपनाकर बच्चों को स्वस्थ रखा जा सकता है।

● बच्चों को बुखार, शरीर दर्द, सर्दी-खांसी, दस्त-उल्टी, निमोनिया आदि होने पर अविलंब चिकित्सक से परामर्श लेकर इलाज कराएं।

● बच्चों को अपने मन से किसी भी प्रकार की कोई दवा नहीं दें।

● इस समय घर तथा वातावरण के आसपास अधिकतर गंदगी फैल जाती है। वर्षा के कारण घरों के आसपास कीचड़ और पानी इकट्ठा हो जाता है। जिनका नियमित साफ सफाई आवश्यक है।

● बच्चों को बंद पैकेट में बिक रहे बाहरी विभिन्न प्रकार के सामानों चिप्स, तिलौड़ी, फुलौड़ी आदि भूलकर भी नहीं दें। इसके कारण बच्चों की भूख मिट जाती है तथा बच्चे घर का ताजा और पौष्टिक भोजन नहीं कर पाते हैं। 

● बच्चों को शौच के बाद, खेलने के बाद तथा खाने से पहले साबुन या हैंड वॉश से हाथ धोने की आदत डालें। 

● बच्चों के नाखून के अंदर जमी गंदगी के कारण कई प्रकार के रोग हो सकते हैं। अतः समय-समय पर बच्चों के नाखून सावधानी पूर्वक काटते रहें। 

● बच्चों को मौसम के अनुसार कपड़े पहनाएं। बरसात के मौसम में तापमान कम होने पर हल्के गर्म और तापमान अधिक होने पर हल्के सूती कपड़े पहनाएं। 

● अगर कपड़े में नमी हो या कपड़ा गीला हो तो उस कपड़े को इस्त्री से सुखा लें। 

● बरसात के मौसम या बरसात समाप्त होने के बाद मच्छरों का प्रकोप बहुत अधिक बढ़ जाता है। विभिन्न प्रकार के मच्छरों को काटने से बच्चों को विशेषकर नवजात शिशुओं को गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। मच्छरों से बच्चों को बचाने के लिए हल्के फुल बांह के कुर्ते और फुल लोअर पहनाएं।

● बच्चों के सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें। 

● बच्चों के डाइट में ऐसा संतुलित आहार शामिल करें, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ पौष्टिक और सुपाच्य भी भी हो।

● बच्चों को समय-समय पर तापमान के अनुसार बढ़िया से धोकर ताजे मौसमी फल का सेवन और साफ-सफाई किए हुए ताजे फल का जुस संतुलित मात्रा में पिलाते रहें। 

● डिहाइड्रेशन या निर्जलीकरण से बचने के लिए बच्चों को समय-समय पर स्वच्छ पानी पिलाते रहें।

👉 यदि बच्चों को बुखार, शरीर दर्द, सिर दर्द, पेट दर्द, सर्दी-खांसी, दस्त, उल्टी या निमोनिया जैसे लक्षण हों तो अविलंब दक्ष चिकित्सक से परामर्श लेकर नियमित इलाज कराएं।

इस दौरान बच्चों को अपने मन से कोई भी, किसी प्रकार की दवा नहीं दें और नहीं किसी अकुशल, अप्रशिक्षित झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराएं।



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