बलिया। मुग़ल शासनकाल में भारतीय संस्कृति, संस्कार और मानवीय आदर्शों को संरक्षित करने में गोस्वामी तुलसीदास की कृति रामचरित मानस ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश शासनकाल में मारिशस, टोबेगा, त्रिनिदाद, फिजी, ब्रिटिश गुयाना डच गुयाना आदि देशों ले जाये गए गिरमिटिया कामगार अपने साथ रामचरित मानस लेकर गए थे। जिसके कारण यहाँ भारतीय रामायण जीवन पद्धति की प्रेम, करुणा, सेवा, परमार्थ का प्रसार हुआ। उक्त उदगार विद्वानों ने अन्तरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान अयोध्या, संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा बापू भवन क्रांति मैदान बलिया मे तुलसीदास जयंती पर आयोजित समारोह में व्यक्त किए।
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