मोटर इंश्योरेंस क्लेम के लिए एक आसान गाइड, पढ़ें और जानें


हमारे मोटर वाहन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिनपर हम अपने दैनिक जीवन के लिए पूरी तरह से निर्भर हैं. महामारी के चलते, आज कल लोग सुरक्षित रहने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कैब सेवा लेने से से बचते हैं, और इससे निजी वाहनों पर निर्भरता और भी बढ़ रही है. अगर आपके पास कोई वाहन है, तो आपके पास कम्प्रीहेंसिव मोटर इंश्योरेंस कवर भी होगा ही, या कम से कम एक थर्ड पार्टी कवर तो होगा ही, जो कानूनन अनिवार्य है. लोगों द्वारा बड़ी संख्या में निजी वाहन खरीदने की वजह से, मोटर इंश्योरेंस आज के समय में सबसे प्रचलित बीमा उत्पाद बन गया है, और परिणामस्वरूप इसी के लिए हर साल सबसे ज़्यादा क्लेम भी दर्ज होते हैं.

हम में से अधिकांश लोग, अपना पहला मोटर क्लेम दर्ज करते समय कई कठिनाइयों का सामना करते हैं. इस आर्टिकल का उद्देश्य है पाठकों को मोटर इंश्योरेंस क्लेम्स के बारे में अधिक जानकारी देना.

क्लेम के प्रकार : 

मोटर इंश्योरेंस के क्लेम आमतौर पर दो श्रेणियों में होते हैं - कैशलेस क्लेम और रीइम्बर्समेंट क्लेम.

कैशलेस क्लेम :- कैशलेस क्लेम के तहत, अगर आपके वाहन को कोई नुकसान पहुंचता है जिसे मरम्मत की ज़रूरत हो, तो आपको आगे बढ़कर कोई खर्चा नहीं करना पड़ता. बीमा प्रदाता सीधे अपने नेटवर्क गेराज को वाहन की मरम्मत के लिए खर्चों का भुगतान करता है. आप, यानि ग्राहक, केवल मूल्यह्रास (डेप्रिसिएशन) और डिडक्टेबल लागू होने पर, उसका भुगतान करते हैं. मूल्यह्रास का प्रतिशत वाहन की आयु और भाग के अनुसार अलग-अलग होता है. उदाहरण के लिए, फाइबर ग्लास का मूल्यह्रास 30% होता है. इसलिए अगर आपको फाइबर ग्लास बदलने की आवश्यकता होती है, तो बीमा प्रदाता लागत के 70% का भुगतान करेगा और शेष 30% का भुगतान पॉलिसीधारक करेगा. डिडक्टिबल वह राशि है जिसका भुगतान बीमित व्यक्ति को इंश्योरेंस कवर शुरू होने से पहले करना होता है. मान लीजिए कि अनिवार्य डिडक्टेबल ₹2,000 है और बीमित व्यक्ति ने ₹6,000 का क्लेम किया है, तो बीमित व्यक्ति को पहले ₹2,000 का भुगतान करना होगा और बीमा प्रदाता शेष ₹4,000 का भुगतान करेगा.

कुल मिलाकर, कैशलेस सेटलमेंट पॉलिसीधारक के लिए एक सुगम और झंझट-मुक्त प्रक्रिया होती है.

रीइम्बर्समेंट क्लेम :- रीइम्बर्समेंट क्लेम के तहत, अगर आपके वाहन को कोई भी नुकसान होता है, तो आप किसी भी गेराज में (नेटवर्क गेराज के बाहर भी) अपने वाहन की मरम्मत करवा सकते हैं. आपको मरम्मत की लागत का भुगतान करता होगा और बीमा प्रदाता से रीइम्बर्समेंट (प्रतिपूर्ति) के लिए अप्लाई करना होगा. सुनिश्चित करें कि आप वर्कशॉप से मरम्मत से संबंधित सभी रसीदें और बिल ले लें. बीमा प्रदाता क्लेम संबंधी दस्तावेजों और बिलों को सत्यापित करने के बाद आपको भुगतान करेगा.

घटना के आधार पर, मोटर इंश्योरेंस में तीन प्रकार के क्लेम होते हैं :-

👉 थर्ड पार्टी लायबिलिटी

👉 ओन डैमेज

👉 चोरी

थर्ड पार्टी (टीपी) :- भारत में, थर्ड पार्टी कवर कानूनन अनिवार्य है.  टीपी का उद्देश्य है, आपके वाहन द्वारा किसी थर्ड पार्टी को हुए नुक्सान के मुआवज़े की स्थिति में, आपको कानूनी दायित्वों के लिए कवरेज प्रदान करना. टीपी सेक्शन आपको या आपके वाहन को कोई कवर प्रदान नहीं करता. टीपी सेक्शन में, एक थर्ड पार्टी जिसे आपके वाहन से चोट लगी हो, संपत्ति को नुकसान हुआ हो या मृत्यु हो गई हो, मुआवज़े के लिए क्लेम कर सकता है. मृत्यु या चोट के मामले में मुआवज़े पर कोई सीमा नहीं होती, और मुआवज़े की राशि कोर्ट द्वारा निर्धारित की जाती है. अगर आप दुर्घटना में थर्ड पार्टी हैं, तो आपको तुरंत एफआईआर दर्ज करवानी चाहिए और वाहन के मालिक से उनके टीपी इंश्योरेंस के विवरण लेने चाहिए. आपको मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (एम.ए.सी.टी.) में मुआवज़े के लिए एप्लीकेशन दर्ज करनी होगी. क्लेम दर्ज करने के लिए, आप अपने निवास के क्षेत्र और दुर्घटना के क्षेत्र के बीच चुन सकते हैं.

आप ये प्रमुख क्लेम दर्ज कर सकते हैं :-

👉 शारीरिक विकृति के लिए मुआवज़ा

👉 विकलांगता के कारण आय के नुकसान के लिए मुआवज़ा

👉 मेडिकल खर्च

👉 प्रॉपर्टी डैमेज

👉 दुर्घटना के कारण अगर दुर्भाग्यपूर्ण आपकी मृत्यु हो जाती है, तो आपके आश्रित मुआवज़े के लिए क्लेम दर्ज कर सकते हैं

ओन डैमेज (ओडी) :– दुर्घटना में आपके वाहन को हानि पहुंचने पर ओडी क्लेम लागू हो जाता है. पहला कदम है पुलिस और अपने बीमा प्रदाता को सूचित करना. पुलिस और बीमा प्रदाता की सहमति के बिना, अपने वाहन को दुर्घटना स्थल से न हटाएं. दुर्घटना स्थल से वाहन को हटाने की सहमति मिलने के बाद, आप अपने वाहन को मरम्मत के लिए ले जा सकते हैं और बीमा प्रदाता कैशलेस या रीइम्बर्समेंट के आधार पर भुगतान करेगा.

चोरी :- अगर आपका वाहन चोरी हो जाता है, आपको पुलिस में एफआईआर दर्ज करवानी होगी, और बीमा प्रदाता व आरटीओ को चोरी के बारे में सूचित करना होगा. आपको बीमा प्रदाता के पास एफआईआर, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आदि की एक कॉपी जमा करवानी होगी. पुलिस इस मामले की जांच करेगी, लेकिन, अगर आपका वाहन 90 दिनों के भीतर नहीं मिलता, तो पुलिस एक "नो ट्रेस रिपोर्ट" जारी करेगी. चोरी के मामले में, क्लेम सेटलमेंट के लिए नो ट्रेस रिपोर्ट अनिवार्य होती है. आवश्यक डॉक्यूमेंट के साथ रिपोर्ट सबमिट करने के बाद, बीमा प्रदाता क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया शुरू करेगा.

डिजिटल क्लेम प्रक्रिया : 

बीमा उद्योग तेज़ी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और, समय पर क्लेम सेटलमेंट करने के लिए नए उपायों का उपयोग कर रहा है. क्लेम सेटलमेंट में ऐसा एक नया इनोवेशन है "ऑन द स्पॉट सेटलमेंट" जो बीमा प्रदाता की ऐप या वेबसाइट के माध्यम से किया जाता है. बीमित व्यक्ति को केवल अपने वाहन को हुए नुकसान की कुछ फोटो क्लिक करके, बीमा प्रदाता के ऐप या पोर्टल पर उन्हें अपलोड करने की आवश्यकता है. बीमा प्रदाता उन फोटो और अपने डेटा एनालिटिक्स टूल का उपयोग करके क्लेम राशि निर्धारित करते हैं, जो बीमित व्यक्ति द्वारा स्वीकार किए जाने पर, 20 मिनट के अंदर उनको मिल जाती है. ऐसे इनोवेशन के साथ, बीमित व्यक्ति अपने क्लेम को कम समय में आसानी से सेटल कर सकते हैं और बिना किसी परेशानी के अपने वाहन की मरम्मत करवा सकते हैं.

अंत में, मैं कहना चाहूंगा कि एक सुगम और झंझट-मुक्त क्लेम प्रक्रिया ग्राहकों के लिए वरदान स्वरूप होती है. बीमा प्रदाता चुनते समय, क्लेम प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण कारक होना चाहिए. सावधानी से ड्राइव करें, अपनी राइड का मज़ा लें, और किसी भी दुर्घटना के मामले में, हमेशा अपने बीमा प्रदाता से संपर्क करें!






टी ए रामलिंगम ✍️

चीफ टेक्निकल ऑफिसर 

बजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस।




Comments