चुनावी पंक्तियां


रैली पे रैली देखो सुनो वादों का दौर।

बाहर से कुछ और दिखते अंदर से कुछ और।

अंदर से कुछ और देव से दिखते नेताजी।

जनता समझ रही है कोई क्या देता क्या लेता जी।

भरोसा किस पर हम करें कैसे हो विश्वास।

शराब है वही नवचंद्र बस बदल गया गिलास।

डॉ0 नवचंद्र तिवारी ✍️

बलिया (उ.प्र.)




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