-'कनेक्ट विथ कम्यूनिटी, कंट्रोल’ डेंगू की थीम पर मना डेंगू दिवस
-हर रविवार मच्छर पर वार, लार्वा पर प्रहार संदेश को जन-जन तक पहुंचाएं
बलिया, 16 मई 2024। मच्छर जनित व वायरल बीमारी डेंगू के बारे में लोगों को जागरूक करने को लेकर हर साल 16 मई को डेंगू दिवस मनाया जाता है। इस बार इस वर्ष की थीम है कनेक्ट विथ कम्यूनिटी, कंट्रोल’ डेंगू की थीम रखी गई है, जिसके तहत समुदाय को डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जोड़ा जाएगा। इस अवसर पर जिला मलेरिया अधिकारी श्री सुनील कुमार यादव और मलेरिया, आईडीएसपी टीम के सहयोग से जागरूकता रैली निकाली गयी। साथ ही ए एन एम प्रशिक्षण केंद्र में एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
गोष्ठी में जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य है कि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जाए। उन्होंने बताया कि ठहरे हुए पानी में पैदा होने वाले मच्छर से फैलने वाले डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है।
डी एम ओ ने जनमानस से अपील की है कि डेंगू के प्रति जागरूकता व जानकारी ही इसका बचाव है। डेंगू से बचाव के लिए कहीं भी एक सप्ताह से ज्यादा जल भंडारण न होने दें। सोते समय मच्छर दानी व मच्छर रोधी क्रीम लगाएं। साफ-सफाई का ध्यान रखें। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता द्वारा दिये जा रहे ‘क्या करें, क्या न करें” के संदेशों का अनुपालन भी करें।
इस दिवस पर प्रत्येक सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं कार्यालय स्तर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। विद्यालयों में जन जागरूकता रैली एवं गोष्ठी का आयोजन किया गया। वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए आशा कार्यकर्ता क्षेत्र भ्रमण के दौरान घर-घर जाकर “हर रविवार मच्छर पर वार” स्लोगन के जरिये जनमानस को जागरूक किया जा रहा है।
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि डेंगू, मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर दिन के समय काटता है। डेंगू बुखार एक गंभीर फ्लू जैसी बीमारी है जो छोटे बच्चों से लेकर किसी को भी प्रभावित करती है। व्यक्ति में संक्रामक मच्छर काटने के बाद तीन से चौदह दिनों के भीतर लक्षण विकसित होते है। रोगी जो कि पहले से ही डेंगू से संक्रमित हैं, के लक्षणों की शुरुआत के चार से पांच दिनों के दौरान एडीज मच्छरों के माध्यम से दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। इसलिए शुरुआत में ही जांच व उपचार कर बीमारी से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि डेंगू के लिए अभी तक कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं। रोगी के लिए अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों पीना और पर्याप्त आराम करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में डेंगू के 20 मरीज मिले थे। वर्ष 2021 में 99 मरीज मिले, वर्ष 2022 में 199 मरीज मिले, वर्ष 2023 मे 340 मरीज मिले, वर्ष 2024 मे जनवरी से अब तक 7 मरीज मिले है। वर्ष 2020 से अब तक डेंगू से किसी की मृत्यु नहीं नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि डेंगू के प्रमुख लक्षणों में बहुत तेज सिर दर्द, बदन दर्द, हड्डियों, जोड़ो में दर्द के साथ तीव्र बुखार आना, उल्टी मितली आना, खून और प्लेटलेट्स की कमी, नाक या मसूड़ों से खून बहना, उल्टी करने पर रक्तस्राव होना,आंखें लाल हो जाना, थकावट बेचैनी या चिड़चिड़ापन महसूस करना। समय से जांच व इलाज नहीं कराने पर यह जानलेवा हो सकता है।
सावधानी :-
1- डेंगू से बचाव के लिए जितना हो सके सावधानी रखें। इसके लिए हमेशा ध्यान रखें कीआस- पास पानी न इकट्ठा होने पाए।
2- पानी को हमेशा ढंककर रखें और हर दिन बदलते रहें, अन्यथा इसमें मच्छर आसानी से प्रजनन कर सकते हैं।
3- हर सप्ताह कूलर का पानी बदलते रहें।
4- खिड़की और दरवाजे पर मच्छर से बचने के लिए जाली लगाएं, जिससे मच्छर अंदर न आ सकें।
5- पूरी बांह के कपड़े पहनें या फिर शरीर को जितना हो सके ढंककर रखें।
उपाय :-
अगर आप डेंगू बुखार की चपेट में आ गए हैं, तो तरल पदार्थ जैसे दूध, छाछ, नारियल पानी, नींबू पानी, ओआरएस घोल, ताजे फल और हरी सब्जियों का सेवन अधिक करें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। समय समय पर पानी लगातार पीते रहें और पूरी तरह से आराम करें।
मच्छरों से बचाव करना बेहद आवश्यक है। इसके लिए सोते समय मच्छरदानी लगाकर सोएं और दिन में भी पूरी बांह के कपड़े पहनें, ताकि मच्छर न काट सकें।
घर में पानी का किसी प्रकार जमाव न होने दें। घर के आसपास भी कहीं जलजमाव न होने दें, ऐसा होने पर मच्छर तेजी से फैलेंगे।
बुखार बढ़ने पर कुछ घंटों में पैरासिटामॉल लेकर, बुखार पर नियंत्रण रखें। किसी भी स्थिति में डिस्प्रिन या एस्प्रिन जैसी दवाइयां बिल्कुल न लें।
जल चिकित्सा के माध्यम से भी शरीर का तापमान कम किया जा सकता है। इससे बुखार नियंत्रण में रहेगा।
डेंगू के लक्षण सामने आने पर या इस तरह की समस्याएं होने पर डॉक्टर से उचित परामर्श जरूर लें। दवाइयों का सेवन भी चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही करें। झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कतई ना कराए।
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