एक वृक्ष हमें जीने के लिए ऑक्सीजन, खाने के लिए फल, फूल देता है, औषधियां देता है, ईंधन, व घर बनाने, बसाने के लिए लकड़ी देता है धूप से बचाता है, बारिश करवाने, जलसंग्रहण में सहायता करता है सारांश में कहें तो वृक्ष ही सभी सजीवों के जीवन का आधार हैं फिर भी हम वृक्ष नहीं लगा रहे हैं बरन उनकी अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं वनों का संहार कर रहें हैं, इनपर निर्भर जीवों पर अत्याचार कर रहे हैं। हमारे इन्ही कुकृत्यों से दुखी होकर एक वृक्ष कुछ इस प्रकार काव्य पंक्तियों के रूप में अपनी व्यथा, वेदना व्यक्त कर रहा है।
1. हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार
स्वच्छ हवा ऑक्सीजन देते
जिसपर निर्भर है संसार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार।।
2. जड़ फल फूल तना छाल पत्ती
हैं औषधियों के भंडार
निर्भर हो तुम हम वृक्षों पर
फिर भी करते हो संहार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
3. हम देते हैं लकड़ी तुमको
जिससे बनता है घर बार
हमसे ईंधन, छाया लेते
फिर भी करते अत्याचार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
4. वृक्षों का हर भाग है औषधि
रोगों का होता उपचार
प्राण वायु के स्रोत हमीं हैं
फिर भी करते रोज प्रहार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
5. फल फूलों से पेट हो भरते
हम सबकी छाया में रहते
जन्म से लेकर मृत्यु काल तक
हम पर निर्भर है संसार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
6. हम धरती को शीतल रखते
वर्षा भी करवाते हैं
भीषण लू व तीव्र तपन से
रक्षा कर, करते उपकार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
7. इस पर भी तुम दया न करते
बनते वृक्ष, वनों का काल
बेमतलब बस स्वार्थ में फंसकर
वृक्ष, वनों को दिए उजार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
8. बड़े बड़े जंगल उजाड़ कर
सड़क रेल का जाल बिछाते
बढ़ते शहर गांव दिन प्रतिदिन
वन वृक्ष सब हुए लाचार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
9. दूर हो रही छाया पानी
दुर्लभ शीतल हवा सुहानी
वो दिन भी अब दूर नहीं जब
प्रकृति करेगी स्वयं शिकार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
10. न काटो हम वृक्ष, वनों को
हमें भी पीड़ा होती है
अब तो रहम करो हे मानव
व्यथित वृक्ष कर रहें पुकार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
11. अभी से संभलो देर हो रही
नही तो सब पछताओगे
वृक्षाभाव में सभी मरेंगे
नही बचेगा यह संसार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
12. सुनो प्रार्थना हम वृक्षों की
रोको अपनी तनी कटार
कर संरक्षित वन, वृक्षों को
बनो पुण्य के भागीदार
हे मनुष्य क्यूं हमें काटता
हम हैं जीवन के आधार ।।
🙏🙏🙏🙏🙏
सुनील कुमार यादव ✍️
जिला मलेरिया अधिकारी, बलिया
मोबाइल नंबर - 9455280838
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