रजनीश कुमार श्रीवास्तव की रिपोर्ट :-
बलिया। लोकतांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत देश में हो रहे लोक सभा चुनाव के क्रम में आज पांच दिन बाद यानी 01 जून को लोकसभा बलिया 72 (बलिया) चुनाव के लिए मतदान होगा। विभिन्न राजनीतिक दलों सहित कुछ छोटे-मोटे दलों और निर्दल प्रत्याशी भी इस चुनाव में परंपरा अनुसार ताल ठोक रहे है, लेकिन ऐसे प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ते है बल्कि किसी को हानि पहुंचाने के लिए अथवा अन्य विभिन्न कारणों से चुनाव लड़ते है। वर्तमान लोकसभा चुनाव में यों तो आधा दर्जन से ऊपर प्रत्याशी कहने के लिए चुनावी रणक्षेत्र में उतरे हैं किन्तु इस लोकसभा क्षेत्र की जनता भली-भांति जानती है की इस चुनाव में प्रमुख संघर्ष भाजपा के नीरज शेखर, इंडिया गठबंधन के सनातन पाण्डेय, तथा बसपा के लल्लन यादव के मध्य ही होना है।
भाजपा प्रत्याशी नीरज शेखर 29 दिसंबर 2007 को अपने पिता की मृत्यु के कारण हुये उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बलिया निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा उपचुनाव में भाग लिया और 295000 से अधिक मत प्राप्त करके जीते।
वर्ष 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए वो पुनः इसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुने गये।
हालांकि वर्ष 2014 के आम चुनाव में वो भरत सिंह से हार गये। वर्ष 2014 में ही वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर राज्य सभा सांसद चुने गये। वर्ष 2019 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। उसी दिन वो भाजपा से राज्यसभा के लिए चुने गये और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं। नीरज शेखर जिले की राजनीति के निपुण खिलाड़ी हैं, दो बार लोकसभा तथा दो बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं तथा अपने दायित्व का कुशल निर्वाह कर चुके है, सवर्ण वर्ग के लोगो से ही नहीं अपितु पिछड़े वर्ग के लोगो से भी न केवल उनका पुराना मधुर संबंध है बल्कि लोगो के सुख-दुख में वे सदैव भागीदार भी रहते है।
वहीं इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी सनातन पाण्डेय पांच बार विधानसभा और एक बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके है तथा एक बार विधायक भी रहे हैं।
2007 के चुनाव में सपा ने उन्हें चिलकहर विधानसभा सीट से टिकट दिया तो वह जीतकर विधायक बने। 2012 में नए परिसीमन में चिलकहर विधानसभा क्षेत्र का अस्तित्व ही समाप्त हो गया। पार्टी से उन्हें रसड़ा सीट से चुनाव लड़ाया, लेकिन वह बसपा के उमाशंकर सिंह से हार गए।
2016 में सनातन को उत्तर प्रदेश शासन के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग का सलाहकार बनाया गया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी वह रसड़ा विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर लड़े लेकिन एक बार फिर असफलता हाथ लगी। इसी के बाद वह बलिया लोकसभा सीट से वर्ष 2019 में 17वीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह मस्त से 13726 मत से हार गए। 18वीं लोकसभा के लिए इन्हें सपा की ओर से दोबारा उम्मीदवार घोषित किया गया है।
दोनों ही प्रत्याशियों की छवि इस लोकसभा क्षेत्र में बेदाग मानी जाती है, साथ ही वे जनता के लिए संघर्ष से भी कभी पीछे नहीं हटे तथा उनके काल में उनके क्षेत्र में तमाम विकास के कार्य हुए हैं।
भाजपा उम्मीदवार नीरज शेखर भाजपा की सरकार में मन-वचन-कर्म ही नहीं तन-मन-धन से भी पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ तथा सदैव जनहित को ही ध्यान में रखते हुए अपने पिता श्री चंद्रशेखर जी के स्वभाव के अनुरूप उनके पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए पूरे मनोयोग से कार्य किया। जिसके लिए बलिया की जनता उन्हें मृदुभाषी, सहमिलु तथा तथा अनुशासित और उत्कृष्ट सांसद के रूप में संबोधित भी करती है।
भाजपा प्रत्याशी के रूप में इस चुनाव में भी वे अपने युवा तेवर, लगन और जोश के साथ नामांकन करने के पूर्व से ही सम्पूर्ण लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की लम्बी फौज और अपने निष्ठावान तथा समर्पित कार्यकर्ताओ के साथ रात दिन जन संपर्क करते हुए तथा भाजपा की उपलब्धियों से अवगत कराते हुए कमल के पक्ष में मतदान करने का निवेदन कर रहे हैं। वही श्री शेखर की धर्मपत्नी डॉक्टर सुषमा शेखर ने भी अपनी सादगी से महिला मतदाताओं को आकर्षित कर रहीं है।
वहीं बहुजन समाज पार्टी ने लल्लन सिंह यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। मूल रुप से गाजीपुर जिले के जंगीपुर विधान सभा क्षेत्र के नोनहरा थाना अंतर्गत चौरही गांव निवासी लल्लन सिंह यादव सेवानिवृत्त फौजी है। इंटर की पढ़ाई पूरी करने के लल्लन सिंह यादव सेना में भर्ती हो गए और वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में दमदारी से भाग लिया। इसके दस वर्ष बाद यानी 2009 में जब वे सेना से रिटायर्ड होकर घर आए तो इन्होंने राजनीति के माध्यम से समाज की सेवा करने संकल्प लिया और वर्ष 2010 में बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में पार्टी ने इन्हें गाजीपुर सदर विधान सभा से टिकट भी दिया था, लेकिन बाद में पार्टी ने टिकट वापस ले लिया था। इसके बावजूद लल्लन पूरी तन्मयता से पार्टी के साथ जुड़े रहे।परिणाम स्वरुप से बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने लल्लन को बलिया लोकसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया है।
परिवर्तन चक्र टीम द्वारा जिले की पांचों विधानसभा में एक-एक दिन भ्रमण करने के पश्चात प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र के लगभग सभी जातियों तथा वर्गो के लोगो से वार्ता करने और उनका झुकाव मतदान में किस दल और किस प्रत्याशी की ओर है यह जानने का प्रयास किया गया, उसको लिखने के पूर्व यह बताना भी आवश्यक है की इस लोकसभा क्षेत्र में जाति के अनुसार सबसे अधिक और सबसे कम मतदाता किस जाति के हैं। जातिवार में मतदाता, नंबर एक पर सवर्ण, नंबर दो पर पिछड़ी जाति, नंबर तीन दलित तथा नंबर चार पर सबसे कम मुस्लिम मतदाताओं की संख्या है।
परिवर्तन चक्र टीम के पांच दिन के भ्रमण के दौरान लोगो से वार्ता में यह भी स्पस्ट हुआ की 60 प्रतिशत मतदाता जातिगत भावना के अंतर्गत ही मतदान करेंगे। चाहे वह जाति प्रत्याशी से जुड़ा हो या पार्टी के मुखिया से, 35 प्रतिशत ऐसे लोग भी मिले जो जातिगत भावना के विपरित योग्य प्रत्याशी और दलीय निष्ठा के आधार पर मतदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। जबकि 5% लोगों ने स्पष्ट नहीं किया।
इस लोकसभा चुनाव में जो जन भावनाएं परिवर्तन चक्र टीम के पांच दिनों के भ्रमण में परिलक्षित हुईं उसमे दलित मतदाता जिसे बसपा अपना थोक वोट बैंक मानती है और जिनकी संख्या नंबर तीन पर है उन में खास करके महिलाओं में भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली है।
भ्रमण के दौरान कई विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं ने यह बात स्पष्ट रूप से बताई भी। ठीक यही स्थिति मुस्लिम महिला मतदाताओ की भी है। अनुमान लगाया जा रहा है की भाजपा उम्मीदवार नीरज शेखर को अधिकतम 30 प्रतिशत मत पिछड़े व अन्य समाज का तथा 50 प्रतिशत मत स्वर्ण समाज का तथा 20% दलित का मिल सकता है। वर्तमान में सपा प्रत्याशी सनातन पांडे 2019 के लोकसभा चुनाव में लगभग करीब 40 प्रतिशत दलित व मुस्लिम मतदाताओं का, तथा लगभग 40 प्रतिशत पिछड़े और लगभग 20 प्रतिशत स्वर्ण मतदाताओं का मत प्राप्त करने के बावजूद चुनाव हार गए थे। लेकिन इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी लल्लन यादव के आ जाने से श्री पाण्डेय के लिए दलित मतदाताओं का साथ मिलना थोड़ा मुश्किल है।
उपरोक्त विश्लेषण लोकसभा क्षेत्र की पांचों विधानसभा क्षेत्रों के अंतर्गत जनता से हुई वार्ता, उनके द्वारा बताए गए तथ्यों और परिस्थितियों तथा आकलन के आधार पर प्रस्तुत है। चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियो में कौन जीतेगा-कौन हारेगा, पांच दिन बाद एक जून को होने वाले चुनाव तक परिस्थितियां यही रहेंगी या परिवर्तित हो जाएंगी इस बारे में कुछ कहां नही जा सकता, किन्तु इतना पूर्ण निश्चित है भाजपा और इंडिया गठबंधन के मध्य ही संघर्ष बताया जा रहा है परिवर्तन चक्र टीम का कहना है की प्रमुख संघर्ष भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच ही है।
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