भाषण का बादल लगा है वादों की बरसात देखो।
शह-मात का खेल सजा है कैसी बिछी बिसात देखो।
आरोपों-प्रत्यारोपों का मौसम बड़ा सुहाना है
समय बताए कौन परे है कौन किसके साथ देखो।
डॉ. नवचंद्र तिवारी
बलिया (उ.प्र.)
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