*सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ज्ञान कुंज विवेकानंद नगर में मातृभारती का सम्मेलन हुआ संपन्न*
अखिल भारतीय विद्या परिषद द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मन्दिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ज्ञान कुंज विवेकानंद नगर सुल्तानपुर में नवगठित मातृ-भारती की कार्यकारिणी का सम्मेलन आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि विद्या भारती काशी प्रान्त के प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी एवं विशिष्ट अतिथि विद्यालय के प्रबन्धक डॉ. पवन सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वन्दना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। विद्यालय के यशस्वी प्रधानाचार्य राकेश मणि त्रिपाठी जी द्वारा सम्मेलन में बतौर अतिथि पधारे हुए मंचासीन अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया गया। मातृ-भारती के पदाधिकारियों का परिचय कार्यक्रम की संयोजिका श्रीमती ज्योति त्रिपाठी जी द्वारा कराया गया। तथा वरिष्ठ आचार्या श्रीमती रंजना पाण्डेय ने सम्मेलन की कार्ययोजना एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का कर्त्तव्य है कि हम पारस्परिक सहयोग एवं सद्भाव के साथ जीवन व्यतीत करें। जब हम जीवन के इस पक्ष की अवहेलना करते हैं तो हमारे सामाजिक मानदंड धरे के धरे रह जाते हैं, और तभी समाज पतन की ओर अग्रसर होता है। मातृशक्ति में अपने बच्चे का भविष्य गढ़ने की अभूतपूर्व क्षमता है।मां ही बच्चे की प्रथम शिक्षिका है और परिवार ही बच्चे की प्रथम पाठशाला है।
मातृ-भारती के सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए विद्या भारती काशी प्रान्त के प्रदेश निरीक्षक शेषधर द्विवेदी जी ने कहा कि मातृ-भारती के गठन का उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कार में समन्वय स्थापित करना है। इस दृष्टि से मां की भूमिका महत्वपूर्ण होती है वह जन्म देने के कारण ब्रह्मा, पालन करने के कारण विष्णु और रक्षिका होने के कारण शिवस्वरूपा है। मां अपनी अन्तिम सांस तक अपने सन्तान की चिन्ता करती है। मां के स्वरूप में ही ईश्वर का दर्शन होता है। आत्म-संयम, दान देने की प्रवृत्ति त्याग का संस्कार मां ही देती है।
विद्यालय के प्रबन्धक डा० पवन सिंह जी ने सम्मेलन में उपस्थित माताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि मातृ शक्ति के सहयोग से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास सम्भव है। अत एव विद्यालय परिवार समय समय पर छात्रों के नैतिक एवं शैक्षिक मूल्यों के उन्नयन एवं संवर्धन के लिए आपसे निरन्तर मार्गदर्शन की अपेक्षा रखता है।
विद्यालय के प्रधानाचार्य राकेश मणि त्रिपाठी जी ने उपस्थित मातृशक्ति को सम्बोधित किया और कहा कि हम संस्कार युक्त शिक्षा पर बल देते हैं। संस्कार युक्त व्यक्ति मानव एवं संस्कार विहीन व्यक्ति दानव बन जाता है। हमारी माताएं संस्कार की प्रथम पाठशाला हैं, माताओं के दिए गए संस्कार का ही प्रतिफल है कि इस वर्ष हमारे विद्यालय का शत प्रतिशत परीक्षाफल है।
सम्मेलन में उपस्थित मातृ-भारती की अध्यक्षा श्रीमती निशा शुक्ला, उपाध्यक्षा श्रीमती सन्ध्या चतुर्वेदी, श्रीमती प्रतिभा साहूजी, श्रीमती मंशा मिश्रा जी, श्रीमती वनिता यादव जी श्रीमती मधु सिंह जी मन्त्री उधा यादव, सिम्पल सिंह, सन्ध्या अग्रहरि, शालिनी अग्रवाल, रूपवती सिंह एवं कोषाध्यक्षा बिन्दू सिंह सहित सभी पदाधिकारियों का स्वागत विद्यालय की वरिष्ठ आचार्या श्रीमती सरिता त्रिपाठी के नेतृत्व में आचार्या बहनें श्रीमती शशी द्विवेदी, श्रीमती श्रद्धा सिंह, श्रीमती सुधा सिंह, आदि के द्वारा बैच लगाकर माल्यार्पण के साथ किया गया।
विद्यालय की आचार्या निष्ठा चतुर्वेदी जी द्वारा कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया। उक्त मातृ सम्मेलन लगभग डेढ़ हजार से भी अधिक मातृ-शक्तियों की उपस्थित में सम्पन्न हुआ।
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