गुदा के आसपास दिखने वाले लक्षण बवासीर की ओर इशारा करते हैं। आइए जानते हैं बवासीर के शुरुआती लक्षण-
बवासीर एक ऐसी समस्या है, जिसमें गुदे और आंत्र में सूजन होने लगती है। इन सूजन के कारण आसपास की कोशिकाओं में भी सूजन की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को मल त्याग के दौरान काफी ज्यादा दर्द होने लगता है। बवासीर अक्सर ऐसे लोगों को होता है, जो खानपान में गड़बड़ी या फिर लंबे समय तक मल त्याग के दौरान प्रेशर महसूस करते हैं। भारत में 50 वर्ष से अधिक उम्र के लगभग 50% लोग बवासीर की परेशानी से जूझ रहे हैं। बवासीर की स्थिति में शरीर में कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं। इन लक्षणों पर ध्यान देकर आप बवासीर की परेशानी को कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं बवासीर के लक्षण क्या हैं?
गुदा के चारों ओर गांठ : बवासीर की स्थिति में मरीजों के गुदे के आसपास गांठ होने लगती है। यह गांठ काफी ज्यादा संवेदनशील होती है। मल त्याग के दौरान मरीजों को काफी ज्यादा दर्द होने लगता है। अगर आपको ऐसे संकेत दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।
गुदे के आसपास खुजली होना : बवासीर की स्थिति में गुदे के आसपास मरीजों को काफी ज्यादा खुजली हो सकती है। इस स्थिति में मरीजों का काफी ज्यादा असहजता महसूस हो सकती है। अगर आपको कब्ज की परेशानी के साथ-साथ गुदे के आसपास काफी खुजली हो रही है, तो एक बार अपने एक्सपर्ट से सलाह लें।
मल त्याग के दौरान दर्द होना : बवासीर से जूझ रहे व्यक्तियों को मल त्याग के दौरान काफी ज्यादा दर्द हो सकता है। इतना ही नहीं, मल त्याग के बाद भी उन्हें गुदे में दर्द और असहजता महसूस होती है।
खूनी बवासीर होना : बवासीर से पीड़ित मरीजों के मल में कई बार खून आने लगता है। यह गंभीर स्थिति हो सकती है। अगर आपको मल त्याग के दौरान खूनआ रहा है, तो ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेकर जांच कराएं। ताकि आपकी परेशानी कम हो सके।
मलत्याग में कठिनाई की वजह से फिक्सल इन्कांटिनेंस : कुछ गंभीर मामलों में मल त्याग की वजह से बवासीर के कारण कंट्रोल करने में कठिनाई होती है। ऐसे में मरीजों को फिक्सल इन्कांटिनेंस हो सकती है। अगर आपको इस तरह की परेशानी हो रही है, तो तुरंत एक्सपर्ट की सलाह लें।
डिस्क्लेमर : हमारे लेखों में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉर्मेशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है इन्हें डॉक्टर की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी बीमारी या विशिष्ट हेल्थ कंडीशन के लिए स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना अनिवार्य होना चाहिए। डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ही इलाज की प्रक्रिया शुरु की जानी चाहिए।
साभार - thehealthsite.com
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