भीषण तपिश और लू पर जनजागरूकता हेतु विशेष प्रस्तुति :-
1. बढ़ गई तपिश अधिक
संभालो अपने आपको
कट रहे जो वृक्ष, वन
बढ़ाते सूर्य ताप को ।।
2. उजाड़ते हो जंगलों को
नग्न हो रही धरा
बढ़ रही है लू, तपिश
संसार होता अध मरा।।
3. हवाएं भी दूषित हुई
फिजाएं भी बदल रहीं
लू, तपिश अब काल बन
जिंदगी निगल रही ।।
4. बढ़ रहे उद्योग धंधे
चिमनियां भी तन रही
निकल रहा है राख धुआं
स्वच्छ हवा छिन रही ।।
5. कार, बस, ट्रक वाहनों का
बढ़ रहा अंबार है
लाखों टन प्रदूषकों से
घिर रहा संसार है।।
6. गर्म हैं धरा पवन
चली हैं लू की आधियां
मिलेगी कहां जिंदगी
धरेंगी सारी व्याधियां ।।
7. बढ़ा है तापमान जो
सुखा रहा जल स्रोत को
सूखते जल स्रोत सब
देंगे निमंत्रण मौत को ।।
8. हो रही है देर अब
करो प्रयास मिल सभी
हरी भरी बना धरा को
काटना न वन कभी ।।
9. वन बचा, लगाओ तरु
बचाओ सब जल स्रोत को
कम करो प्रदूषकों को
रोको काल प्रेत को ।।
10. बचेंगे वन व जल अगर
तभी बचेगी जिंदगी
वन व जलाभाव में
बढ़ेगी बस दरिंदगी ।।
11. अभी समय है चेत जा
नही तो सब पछताओगे
बढ़ रही तपिश की गति
मौत के मुंह में जाओगे ।।
सुनील कुमार यादव ✍️
जिला मलेरिया अधिकारी, बलिया।
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