कपिल मुनि की आराध्य देवी हैं आदि शक्ति मां कपिलेश्वरी


-तपस्या के दौरान कपिल मुनि ने ही पत्थर पर आकृति उकेर किया था स्थापित

-जनपद के विकासखंड हनुमानगंज के कपुरी गांव में स्थापित है मां का पवित्र धाम

बलिया। नेशनल हाईवे पर जिला मुख्यालय से महज नौ किमी दूर कपुरी गांव में आदि शक्ति मां कपिलेश्वरी भवानी का पवित्र धाम है। माता रानी पूर्वांचल ही नहीं पूरे प्रदेश में अपनी महिमा के लिए विख्यात हैं। माता रानी के दरबार में पूरे मनोयोग से जिसने भी आस्था लेकर हाजिरी लगाई खाली नहीं लौटा। माता रानी की स्थापना कपिल मुनि ने अपनी तपस्या के दौरान की थी। माता रानी कपिल मुनि की ईश्वरी थी इसीलिए इन्हें कपिलेश्वरी नाम मिला।

किंवदंतियों की माने तो पहले गंगा मां माता रानी के पास से ही बहती थीं और यहां जंगल था। इसी जंगल में कपिल मुनि तपस्या करते थे। तप के दौरान कपिल मुनि ने एक दिन एक पत्थर पर माता रानी की तस्वीर उकेर कर स्थापित किया और प्रतिदिन पूजा करने लगे। माता रानी कपिल मुनि की ईश्वरी हुई जिन्हें कपिलेश्वरी का नाम मिला। कपिल मुनि की स्थापित माता रानी की महिमा और यश धीरे धीरे बढने लगा और प्रसिद्धि उनकी दूर दूर तक फैलने लगी। माता जी की महिमा को सुन एक चोर ने माता जी से चोरी में सफलता का आशीर्वाद मांगा। विफलता हाथ लगी तो उसने माता रानी की आकृति वाले पत्थर को दो टुकड़ा कर बगल के पोखरे में फेंक दिया। अगली सुबह जब भक्तों को माता रानी नहीं मिलीं तो उन्हें काफी मायूसी हुई।

भक्त परेशान थे तो मातारानी ने किसी भक्त को स्वप्न देकर बताया। अगले दिन भक्तों ने पोखरे से आकृति पत्थरों को निकाला। स्थान पर रख पूजा शुरू हुई। खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है तो भक्तों ने माता रानी की प्रतिमा स्थापित कराई और दोनों पत्थरों को उसी में अंदृ करा दिया। माता रानी के आशीर्वाद से यश प्राप्त करने वाले भक्तों ने धीरे धीरे मंदिर को भव्य बनाना शुरू किया। आज मातारानी का मंदिर पूरी भव्यता से एन एच से सटे कपुरी गांव की शोभा बढ़ा रहा है। मातारानी के भक्त पूरे पूर्वांचल से आकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं। पूरे नवरात्रि में मातारानी के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है।

बोलो कपिलेश्वरी माता की जय…..।


संवाददाता - 

वेद प्रकाश सिंह 'पिंटू' 

लखनऊ।

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