बलिया। जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय में “ इंटरप्रिटिंग लिटरेरी थियरी: टेकस्ट्स एंड कंटेक्स्ट्स”, विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन 28 एवं 29 अगस्त को किया गया। जिसके मुख्य अतिथि/ वक्ता प्रो० गौरहरि बेहरा , डीडीयू गोरखपुर तथा विशिष्ट अतिथि, डॉ० राम शर्मा, प्राचार्य, श्री सुदृष्टि बाबा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रानीगंज, बलिया रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ० अजय कुमार चौबे ने किया।
मुख्य वक्ता प्रो० बेहरा जी ने अपने वक्तव्य मे लिटरेरी क्रिटिसिज़म के अंतर के बारे मे बताया। उन्होंने बताया कि थ्योरी इन्टर्डिसप्लनेरी, कॉमन सेंसिकल, स्पेक्युलेटिव, एनालिटिकल और रेफलिक्सव होती है, जिससे उसे कठिन समझा जाता है। कहा कि साहित्यिक सिद्धांत की कठिनाईयों के बारे में समझने हेतु हमें साहित्यिक रचनाओं को अधिकाधिक पढ़ना चाहिए। डॉ० राम शर्मा ने साहित्यिक सिद्धांतों का सामान्य परिचय दिया। कहा कि साहित्य को समझने के लिए हमें अपनी रूचि विकसित करनी चाहिए। डॉ० अजय चौबे ने कहा कि साहित्य को समझने की तीन विधियाँ हैं- पढ़ना, देखना और सुनना। साहित्यिक सिद्धांत को फिल्मों के माध्यम से भी समझा जा सकता है।
प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ० दिलीप ने की। कार्यक्रम का संचालन कृति सिंह, स्वागत फ़ैज़ान रज़ा ने तथा धन्यवाद ज्ञापन धर्मेंद्र पाण्डेय ने किया। राष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजिका डॉ० सरिता पाण्डेय और सह-संयोजक डॉ० दिलीप कुमार मद्धेशिया और डॉ० नीरज कुमार सिंह रहे। आयोजक सदस्य कृति सिंह, मुस्कान सिंह, नम्रता पटेल, कृष्ण मोहन तिवारी, जितेंद्र पांडे, फैजन राजा, पुलकित श्रीवास्तव और आशीष कुमार तिवारी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई। इस अवसर पर निदेशक, शैक्षणिक डॉ० पुष्पा मिश्रा, डॉ० प्रियंका सिंह, डॉ० आर० पी० सिंह, डॉ० विनीत सिंह, डॉ० रजनी चौबे आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का दूसरा दिन तकनीकी सत्र 2 से प्रारंभ हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ० नीरज कुमार सिंह ने की। समापन समारोह के विशेष अतिथि प्रो० राम शर्मा रहे जबकि अध्यक्षता डॉ० सरिता पाण्डेय ने कीI प्रो० राम शर्मा जी ने “जूलियस सीजर में मनोविश्लेषण” पर एक बहुत ही रोचक व्याख्यान दिया। साहित्य को समझने के तरीके बताये। आपने परिसर में रंगमंच, रचनात्मक लेखन एवं पारिस्थितिक आलोचना की दिशा में कार्य करने का सुझाव भी दिया। डॉ० सरिता पाण्डेय ने बताया कि विश्वविद्यालय पहले ही यह पहल कर चुका है। विवि के क्रियाशील रंगमंच प्रकोष्ठ की वे संयोजिका हैं। कहा कि रचनात्मक लेखन और पारिस्थितिक आलोचना पर भी कार्य प्रगति पर है। उन्होंने छात्रों को इंडियन और वेस्टर्न लिटरेरी थ्योरी के तुलनात्मक अध्ययन का सुझाव दिया।
जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया में मंगलवार को अंग्रेजी विभाग द्वारा नवप्रवेशित छात्रों का स्वागत समारोह आयोजित किया गया। जिसमें नवप्रवेशित छात्रों का पुराने छात्रों तथा प्राचार्यों से परिचय हुआ तथा उन्हें दिशा-निर्देश भी दिये गए। अंत में कुलपति प्रो० संजीत कुमार गुप्ता जी ने छात्रों को सम्बोधित किया और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए मार्गदर्शन दिया। कहा कि विद्यार्थियों को अपने आप को कमतर आंकने की जरूरत नही है। आप लोग अपने परिवार के साथ-साथ विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंI साथ ही एम० ए० (अंग्रेजी) अंतिम वर्ष के छात्रों के विदाई समारोह का भीआयोजन हुआ। जिसमें छात्रों द्वारा विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। इस कार्यक्रम में डॉ० अजय कुमार चौबे, डॉ० सरिता पाण्डेय, डॉ० नीरज कुमार सिंह, डॉ० दिलीप मद्धेशिया की उपस्थिति रही। शिक्षकों ने विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभवों को साझा किया और उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
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