बलिया : फाइलेरिया के प्रसार का स्तर जानने के लिए हुआ “नाइट ब्लड सर्वे“


●रामपुरचिट गांव में 85 लोगों का लिया सैंपल

●सहयोगी संस्थाओं ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

संवाददाता कृष्णकांत पांडेय 

बलिया। फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरुवार को हनुमानगंज ब्लॉक के रामपुर चिट ग्राम में एक दिवसीय नाइट ब्लड सर्वे में 85 लोगों का सैंपल लिया। सर्वे में शामिल हुए 46 फाइलेरिया रोगियों को रुग्णता प्रबंधन एवं दिव्यांगता रोकथाम (एमएमडीपी ) के बारे में प्रशिक्षण देकर एमएमडीपी किट प्रदान की गई।


जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने प्रशिक्षण में बताया कि फाइलेरिया के मरीजों को प्रभावित अंग की अच्छी तरह से साफ-सफाई रखनी चाहिए, जिससे किसी प्रकार के संक्रमण से मरीज प्रभावित न हो फाइलेरिया से बचने के लिए एमडीए अभियान के दौरान दो वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को दवा का सेवन कराया जायेगा। गर्भवती व गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को यह दवा नहीं खानी है। दवा के सेवन से फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है। नाइट ब्लड सर्वे में सहयोगी संस्थाओं ने सैंपल देने के लिए लोगों को एकत्रित कराने में विशेष योगदान दिया।


जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया के परजीवी यानि माइक्रोफाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। इसलिए नाइट ब्लड सर्वे के लिए बनी टीम लोगों के ब्लड का सैंपल रात में लेती है। उन्होंने बताया कि सर्वे में आए पांच साल से अधिक आयु के सभी लोगों का सैंपल लिया गया। सैंपल लेकर रक्त पट्टिका बनाई गईं हैं। इनसे परजीवी होने या न होने की पुष्टि की जाएगी। इस सर्वे का उद्देश्य फाइलेरिया रोगी मिलने पर उसका तत्काल उपचार शुरू कर जिले में फाइलेरिया के प्रसार को रोकना है। उन्होंने बताया कि इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं के जरिये नाइट ब्लड सर्वे कराने के लिए जांच स्थान पर आने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया था। इसी क्रम में 85 लोगों ने अपनी जांच कराई। आशा कार्यकर्ता पूनम सिंह, शीला सिंह, सीमा सिंह, शैल कुमारी, सरोज कुमारी, आशा सिंह, विदोतमा सिंह ने लोगों के पंजीकरण में सहयोग किया। इसी क्रम में शुक्रवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मनियर में कैंप आयोजित कर 30 फाइलेरिया के मरीजों को एम एम डी पी किट (रुग्णता प्रबंधन एवम दिव्यांगता रोकथाम) किट प्रदान की गयी।


 *फाइलेरिया को जानें -* 

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। इसे सामान्यतः हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में जनपद में फाइलेरिया के 4859 मरीज हैं। इसमें हाइड्रोसील के 654 और लिम्फोडिमा के 4205 मरीज हैं। हाइड्रोसील के 654 मरीजों में से 163 मरीजों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। 4205 लिम्फोडिमा के मरीजों में से 2759 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि एक जनवरी 2023 से अब तक नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 2882 व्यक्तियों की जांच की गई, जिसमें अब तक 36 माइक्रोफाइलेरिया धनात्मक पाए गए, जिनको उपचारित कर दिया गया।

 *लक्षण : -* 

. कई दिन तक रुक-रुक कर बुखार आना।

. शरीर में दर्द एवं लिम्फ नोड (लसिका ग्रंथियों) में सूजन।

. हाथ, पैरों में सूजन (हाथी पांव) एवं पुरुषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसील)।

. महिलाओं के स्तन में सूजन, पहले दिन में पैरों में सूजन रहती है और रात में आराम करने पर कम हो जाती है।

. संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पांच से 15 साल में दिख सकते हैं।

 *बचाव: -* 

. फाइलेरिया से बचाव की दवा का पांच वर्ष लगातार, साल में एक बार सेवन करके बचा जा सकता है।

. लक्षण दिखने पर समय से जांच कराकर इलाज शुरू कर दें।

. फाइलेरिया के मच्छर गंदी जगह पर पनपते हैं। इसलिए मच्छरों से बचाव करें।

. साफ़-सफाई रखकर मच्छर से बचने के लिए पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।

. रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

नाइट ब्लड सर्वे में फाइलेरिया इंस्पेक्टर ओम प्रकाश पाण्डेय, मलेरिया इंस्पेक्टर वरुण कुमार, शिव शंकर सिंह, वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन, मनु कुमार क्षेत्र सेवक, पाथ संस्था के जिला समन्वयक नितेश कुमार ने सहयोग किया।



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