होली का नाम सुनते ही मन में मस्ती की ऐसी तरंग उठती है। जिससे बच्चे, जवान, बूढ़े सभी आनंदित होने की कल्पना करने लगते है। वैसे भी होली को उल्लास का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग उन्मुक्त हो कर किसी को कुछ भी कह देते है। जो बुरा ना मानो होली है कह कर शिरोधार्य होता है होली के पूर्व होलिका दहन किया जाता है। जिसमें सारी गन्दगी को आग के हवाले कर दिया जाता है। इसी प्रकार मन की शुद्धि के लिए भी हंसी मजाक के माध्यम से सारे विकार दूर हो जाते है। पहले हुड़दंग भी होता था लेकिन वह पूरी शालीनता के साथ। भांग का शरबत या भांग की गोली होली को रंगीन बना देती थी। लेकिन धीरे धीरे न केवल होली का स्वरूप बिगड़ रहा है। बल्कि हुड़दंग के नाम पर लोगों को तंग भी किया जा रहा है।
पहले होली में ऐसे रंग लगाये जाते थे जो आसानी से छूट जाते थे और उनका कोई साइडइफेक्ट भी नही पड़ता था। लेकिन आज कल जो रंग लगाये जा रहे है। वह ऐसा होता है जिसको छुड़ाने में घण्टो मशक्कत करनी पड़ती है। इसके बावजूद वह पूरी तरह नही छूटता है। जिसके कारण चेहरा बदंरग। दिखाई देता है। इसके अलावा हुड़दंग के नाम पर शराब पीकर शरीफ लोगो को परेशान किया जाता है जिससे होली का असली मकसद खत्म हो जाता है क्योकि जो होली आनन्द का आभास कराती है उस होली से अगर किसी को दुःख पहुंचे तो ऐसी होली किस काम की ? उन्मुक्तता की भी कोई हद होती है। उन्मुक्त होने का मतलब यह नही है कि मर्यादा की सारी सीमाएं पार कर दी जाये। जरूरत से ज्यादा कोई काम ठीक नही होता।
पहले जब होली की टोली हुड़दंग मचाने निकलती थी तो लोग घरों से निकल कर उसमें शामिल होते थे। जब कि आज कल की होली की टोली को देखते ही लोग दूर भागने की कोशिश करते है और प्रयास करते है कि इनसे दूर ही रहा जाये। यह विचारणीय प्रश्न है कि आखिर इस तरह की होली का क्या सन्देश जायेगा। अपने देश की बात तो जाने दीजिए। विदेशों में भी भारत की होली को लोग पसन्द करते है। विविध रूपो में मनाई जाने वाली होली जिसमें मथुरा की लठ्ठ मार होली, कृष्ण की माखनचोरी से सम्बंधित मटका फोड़ होली को देखकर लोग आनंदित है। ऐसी स्थिति में होली का जब विद्रूप रूप सामने आयेगा तो वे क्या सोचेंगें? लेकिन इस बात की परवाह युवा पीढ़ी को नही है। उनके मन में जो आता है वही वे करते है। उन्हे न तो समाज की परवाह है ना देश की संस्कृति का और ना ही परिवार की चिंता।
इतना अच्छा त्यौहार जो रंग और गुलाल से लोगों के तन को ही नहीं मन को भी रंग देता है। उसे कुछ लोगो ने शराब और अश्लील गीतों की वजह से दुषित कर दिया है। कुछ लोग शराब पीकर ऐसी हरकते करते हैं जिससे औरतों और लड़कियों में इस त्यौहार से डर भर गया है।
खुशियों और रंग से भरे इस त्यौहार को खुशनुमा और रंगीन बनाने के लिए औरतों को सम्मान और सुरक्षा दे। औरतों के मन से शराबियों और मनचलों का डर दूर करें और होली के रंग में डूब जायें।
और अन्त में मेरी तरफ से आप सभी को ‘‘होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें’’ और कामना करता हूं कि रंग और गुलाल आप सभी के तन ही नहीं मन को भी सराबोर कर दे।
मोहनीश गुप्ता उर्फ मोनू ✍️
सामाजिक कार्यकर्ता, बलिया।
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