घर की खिलती फुलवारी का
मां खुद बीज, खुद तना होती है
मां तो बस मां होती है।
मेरी ही जिद पूरी करने
मां से कहाँ मना होती है
मां तो बस मां होती है।
इज्जत वाले परिवारों की
मां खुद एक अना होती है
मां तो बस मां होत
मां तो बस मां होती है
मेरी पूरी एक जहाँ होती है।
दिखती मुझको इधर-उधर
जाने कब कहाँ-कहाँ होती है
मां तो बस मां होती है।
दरिया में एक बूंद सरिकी
हरदम मां फ़ना होती है
मां तो बस मां होती है।
सौम्या पांडेय ✍️
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