बात उनकी भी करें......

 


हाशिए पर जो खड़े हैं बात उनकी भी करें 

रास्ते पर जो पड़े हैं बात उनकी भी करें 


हौसलों से कुछ बुलंदी को रहे हैं चूमते 

बेबसी में जो अड़े हैं बात उनकी भी करें 


आए हैं कुछ आसमां से किस्मतों का बाग़ ले 

किस्मतों से कुछ लड़े हैं बात उनकी भी करें


पीढ़ियों का उड़ते जाना देखते हैं हम सभी 

छूटते घर में बड़े हैं बात उनकी भी करें 


पौध तो ऊपर ही ऊपर रोज बढ़ती जा रही 

पर ज़मी में जो जड़ें हैं बात उनकी भी करें


मुकेश चंचल ✍️

बलिया, यूपी।



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