आज 14 फरवरी का दिन प्रेम दिवस के लिए ही,
क्यों?? ये दिन रहता है याद।
पुलवामा हमला क्या भूल गए ?
जो सिर्फ प्रेम दिवस की ही करते हो बात।
क्या भूल गए उन मांओं की चीत्कार?
जिन्होंने खोए थे अपने लाल।
उन बच्चों की गूँज,
जिन्होंने खो दिया था पिता का साया।
उस बहन की तड़प,
जिस भाई ने बहन को, दिया था रक्षा का वचन।
उस पत्नी का क्या??
जिसने सजाया अपने पिया का अँगना,
और छोड़ दिया अपने बाबुल का वो प्यारा घरौंदा।
और उस दिन सूनी हो गयी माँग,
जिस दिन सब करते हैं प्रेम दिवस की बात।
माना प्रेम में अनोखे होते हैं जज़्बात।
लेकिन पुलवामा हमले को याद कर
उसको श्रद्धा सुमन अर्पित कर
भावभीनी श्रद्धांजलि दे
इतना तो कर ही सकते हैं
हम और आप।
मानसी मित्तल ✍️
शिकारपुर, जिला बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)
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