- लक्षण नजर आएं तो टीबी की जांच जरूर कराएं
- टीबी मरीजों की पहचान को घर-घर पहुँच रहीं टीम
बलिया, 24 फ़रवरी 2023। जिले में शुक्रवार से सक्रिय क्षय रोगी खोज अभियान के दूसरे चरण की शुरुआत हुई। दूसरा चरण पांच मार्च तक चलाया जायेगा। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 244 टीमें और 48 सुपरवाइजर लगाये गए हैं।
इस चरण मे जिले की 20 प्रतिशत आबादी जिनमें शहरी एवं ग्रामीण क्षेंत्रों की मलिन बस्तियों, घनी आबादी, एवं हाई रिस्क क्षेत्रों में टीबी के संभावित मरीजों की स्क्रीनिगं एवं जांच की जायेगी।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ० आनन्द कुमार ने बताया कि जनपद को टीबी मुक्त बनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग हर स्तर पर प्रयासरत है। टीबी के प्रति जागरूकता लाने में सामाजिक संगठन भी जुटे हैं। उन्होंने कहा कि आज भी लोगों में जागरूकता की कमी है। यदि टीबी की पहचान शुरुआती दौर में ही हो जाए तो मरीज छह महीने इलाज कराने पर इससे मुक्त हो जाता है। टीबी की बीमारी का इलाज अधूरा छोड़ने पर यह गंभीर रूप ले लेता है, फिर यह मल्टीड्रग रेजिस्टेंस टीबी के रूप में सामने आती है जो गंभीर होती है। टीबी के मरीज ड्रग रेजिस्टेंट न हों इसके लिए विभाग की ओर से मरीजों का नियमित फॉलोअप किया जाता है।
उन्होंने बताया की टीबी के नये मरीज मिलने पर उनका 24 घंटे में उपचार शुरु कर उन्हें डीबीटी (सीधे खाते में) के माध्यम से इलाज के दौरान 500 रुपए प्रतिमाह पोषण युक्त भोजन में सहायता के लिए प्रदान की जाती है। इस अभियान के अंतर्गत “डोर टू डोर” जाकर लोगों के टीबी के लक्षणों जैसे दो सप्ताह या अधिक समय तक खांसी आना, खांसी के साथ बलगम आना, बलगम में कभी -कभी खून आना, सीने में दर्द होना, शाम को हल्का बुखार आना, वजन कम होना, और भूख न लगना ऐसे लोगों की बलगम की जांच करायी जायेगी।
जिले के आंकड़े :- जिला कार्यक्रम समन्वयक आशीष सिंह ने बताया कि जिले में इस समय 2944 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है जिसमें से 91 एमडीआर टीबी के रोगी हैं। 2022 मे (5583) मरीज और 2023 मे (744) मरीज मिले। वर्ष 2018 से अभी तक निक्षय पोषण योजना में 13630 क्षय रोगियों को 3,54,97,500 रुपए का भुगतान डीबीटी के जरिये किया जा चुका है।
संवाददाता- कृष्णकांत पांडेय
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