बलिया। ब्लाक बेरुआरबारी के अंतर्गत मैरीटार गांव निवासी दिनेश साहनी के जुड़वा बच्चे सनी व साक्षी का शारीरिक विकास नहीं हो पाने से मां काफी चिंतित रहती थी। एक दिन उनकी मुलाकात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मीना वर्मा से हुई तो उन्होंने बच्चों के बारे में बताया। बच्चों को देखने के बाद आगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बच्चों को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड में भर्ती करने की सलाह दी। 10 अक्टूबर को भर्ती के समय सनी का वजन 4.500 किलोग्राम व साक्षी का वजन 4.400 किलोग्राम था। 14 दिन बेहतर देखभाल के बाद सनी 5.125 किलोग्राम और साक्षी 4.900 किलोग्राम वजन के साथ डिस्चार्ज हो गए।
सनी और साक्षी तो सिर्फ उदाहरण हैं। हकीकत में ऐसे अनेक बच्चे जिला अस्पताल स्थित इस पोषण पुनर्वास केंद्र से स्वस्थ होकर डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को पोषित करने के उद्देश्य से यह स्थापित हैं। इस केंद्र मेंआरबीएस टीम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से कुपोषित एवं अति कुपोषित बच्चों को लाया जा रहा है। साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती कराये जाते है। सीएमएस डॉ० दिवाकर सिंह ने बताया कि एनआरसी वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने व टीवी भी है। गर्मियों में एसी, पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम आंगनवाड़ी कार्यकर्ती एनआरसी में भर्ती करा रहे हैं।
डाइटिशियन रेनू तिवारी ने बताया इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, एफ-75 व एफ-100 यानि प्रारम्भिक दुग्धाहार, दलिया, हलवा, फल इत्यादि के साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन ए, जिंक, मल्टीविटामिंस आदि भी दी जाती है।
पोषण पुनर्वास केंद्र से 798 बच्चे हो चुके हैं पोषित :-
जिला चिकित्सालय में 2 अक्टूबर 2016 को एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में 798 कुपोषित बच्चों की नई जिंदगी दी जा चुकी है। इसमें वह भी बच्चे शामिल है जो रेफर व डिफाल्टर हैं। यहां एनआरसी वार्ड में नोडल डॉ अनुराग सिंह, मेडिकल ऑफिसर डॉ ऋषभ सिंह 4 स्टाफ नर्स मधु पांडे, श्वेता यादव, आशुतोष शर्मा, विप्लव सिंह, एक केयरटेकर बलराम प्रसाद, कुक अमृता देवी और डाइटिशियन रेनू तिवारी हैं। इस केंद्र पर जहां एक माह से पांच साल तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।
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