टीबी चैंपियन की कहानी उन्हीं की जुबानी
बलिया, 24 दिसम्बर 2022। सामुदायिक भागीदारी से ही वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का सपना साकार होगा। इसमें हर व्यक्ति को सहयोगी बनना होगा। कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं बलिया के टीबी चैंपियन अनिल गोंड़ और उमेश सिंह। कभी वह खुद टीबी से ग्रसित थे और जिंदगी से निराश हो चुके थे, लेकिन नियमित दवाओं का सेवन कर खुद को टीबी मुक्त कर लिया। अब वह चाहते हैं कि टीबी की गिरफ्त में आए लोग भी इससे निजात पाएं। इसी उद्देश्य के साथ वह समाज में जागरूकता फैला रहे हैं।
पहले लोग हंसते थे, अब लेते हैं सलाह :-
जिले के नगरा निवासी अनिल गोंड़ को मई 2021 में लगातार खांसी आने लगी थी। दो हप्ते से ज्यादा खांसी होने पर जांच में टीबी की पुष्टि हुई तो परिवार और आस-पास के लोगों की सोच और नजरिया बदलने लगा। अनिल गोंड डाट्स सेंटर पर गए और वहां से नियमित दवाएं लेने लगे। टीबी से पूरी तरह ठीक हो जाने के बाद उन्होंने टीबी मरीजों का दर्द सुनकर संकल्प लिया कि वह इस रोग के बारे में जानकारी देंगें। अब नगरा ब्लॉक में रहने वाले टीबी मरीजों के अनिल गोंड को स्वास्थ्य विभाग ने टीबी चैंपियन के नाम से सम्मानित किया है। अनिल गोंड़ कहते हैं कि शुरुआती दौर में उनके काम पर लोग हंसते थे, लेकिन अब सलाह लेने आते हैं। उसी समय से मैंने संकल्प किया की अब मुझे जनसमुदाय में टीबी मरीजों को जागरूक कर उन्हें स्वस्थ बनाना है।
बेल्थरा ब्लॉक के गाँव लोहटा निवासी उमेश सिंह को 2021 में लगातार खांसी आने, सीने में दर्द की शिकायत हुई थी। जब उन्होंने इसकी जांच सियर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर टीबी अस्पताल में कराया तो वहां जांच में टीबी की पुष्टि हुई। वहां से दवाएं मिलीं और निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा आर्थिक सहायता भी मिली । ठीक हो जाने के पश्चात खुद का उदाहरण देते हुए समझाते हैं कि दवा खाना न छोड़ना।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ0 आनन्द कुमार ने बताया कि जिले में अभी 3307 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है। इसमें से 89 एमडीआर टीबी के रोगी हैं। जनवरी 2022 से अब तक कुल -5455 टीबी रोगी नोटिफाई किये जा चुके हैं। निक्षय पोषण योजना के तहत अभी तक 13423 क्षय रोगियों को 3.27 करोड़ राशि से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
जिला पीपीएम समन्वयक विवेक सिंह ने बताया कि जोड़ों का दर्द, वजन कम होना, थकान, लगातार हल्का बुखार रहना टीबी के संकेत हो सकते हैं। टीबी की पुष्टि होने पर पौष्टिक आहार के लिए उसके बैंक खाते में निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि टीबी का उपचार लंबा होता है इसलिए रोगी को बीच में इसका उपचार छोड़ना नहीं चाहिए।
बचाव के लिए क्या करें :-
● लक्षण होने पर बलगम की जांच कराएं।
● एक्स-रे कराएं।
● चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें।
● घरों में साफ-सफाई रखें।
● बीमार व्यक्ति मुंह पर रुमाल लगाकर चले।
● इसका इलाज आपके जिले में स्थिति टीबी अस्पताल अथवा जिला अस्पताल के ट्रीटमेंट सपोर्टर पर होता है। वहां से दवाएं ले सकते हैं।
● एक बार बीमारी हो जाए तो जब तक डॉक्टर न कहें, दवा न छोड़ें।
● इलाज के दौरान खूब पौष्टिक खाना खाएं। एक्सरसाइज करें, योग करें।
● पोषण से भरपूर सोयाबीन, दालें, मछली, अंडा, पनीर आदि खूब खाएं।
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