ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव, गणेश व शनि तीनों को प्रसन्न करने के लिए शमी की पूजा करनी चाहिए. शमी के पेड़ को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में इसकी पूजा भगवान शिव की पूजा के समान मानी जाती है.
हिंदू धर्म में प्रकृति को परमात्मा का ही व्यक्त रूप कहा गया है, इसलिए पेड़- पौधों, पर्वत व नदियों की पूजा को भी धर्म में महत्वपूर्ण माना गया है. इनमें भी कुछ विशेष नदी, पर्वत व पेड़- पौधे ऐसे हैं जिन्हें आध्यात्मिक दृष्टि से ईश्वर की पसंद व प्रतीक माना जाता है, जिन्हें लगाना व पूजना ईश्वर को प्रसन्न करने व अपने कष्टों के निवारण के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसा ही एक पेड़ शमी है. जो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शिव, गणेश व शनि तीनों को प्रसन्न कर मनोकामना पूर्ति के लिए अहम माना जाता है. आइये जानते हैं पंडित रामचंद्र जोशी से शमी पेड़ की विशेषताएं।
भगवान राम ने की थी पूजा, मां दुर्गा को भी प्रिय
शमी के पेड़ को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में इसकी पूजा भगवान शिव की पूजा के समान मानी जाती है. अब चूंकि भगवान शिव गणेशजी के पिता व शनि के गुरु हैं, ऐसे में शमी की पूजा से गणेश व शनि भगवान भी प्रसन्न होते हैं.
कई पौराणिक कथाओं में भी शमी का उल्लेख है. एक कथा के अनुसार भगवान राम ने भी लंका पर विजय पाने के बाद भगवान शंकर की आराधना के साथ शमी का पूजन किया था. नवरात्र में भी मां दुर्गा तथा विजयादशमी की पूजा में भी शमी के पूजन का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है.
घर में कब व कहां लगाएं शमी?
शमी के पेड़ को घर में भी लगाया जा सकता है. यह पीपल व बड़ की तरह वर्जित नहीं है. घर में इसे विजयादशमी या शनिवार को उत्तर- पूर्व में लगाना श्रेष्ठ माना गया है.
शनि कोप से बचाता है शमी
शमी पेड़ लगाने के कई लाभ हैं. शिव पुराण के अनुसार शमी के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाने पर भगवान शिव प्रसन्न होकर व्यक्ति की मनोकामना पूरी करते हैं. भगवान गणेश, शनि व दुर्गा सहित सारे देवी-देवता प्रसन्न होकर परिवार में सुख व समृद्धि देते हैं. शमी के पेड़ में शनि देव का वास भी माना गया है. ऐसे में ज्योतिष शास्त्री घर में लगे शमी की पूजा-अर्चना को शनि के कोप से बचने का अचूक उपाय माना जाता है.
शमी की पूजा कैसे करें
शमी को नियमित सींचने के साथ इसके आगे दीपक जलाएं. रोजाना कम से कम एक पत्ती भगवान शिव को चढ़ाएं. ध्यान रहे कि बिना स्नान किये व रात को इसका स्पर्श बिल्कुल ना करें. किसी भी काम से घर से निकलते समय भी इसका दर्शन करें.
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