पितृ पक्ष यानि श्राद्ध में पितरों का आभार व्यक्त किया जाता है. पितृ जब प्रसन्न होते हैं तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
पितृ पक्ष 10 सितंबर से आरंभ हो चुका है. पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि देने का विधान है. लेकिन जिन लोगों को अपने पितरों का नाम ज्ञात नहीं वे कैसे आभार व्यक्ति करें, आइए जानते हैं-
रामायण और महाभारत में पितृ पक्ष का वर्णन मिलता है. इसके साथ ही पौराणिक ग्रंथों में भी पितृ पक्ष के महत्व के बारे में बताया गया है. यही कारण है कि पितृ पक्ष में कठोर अनुशासन का पालन करते हुए व्यक्ति अपने पितरों को याद करते हैं और उनका आभार व्यक्त करते हैं. पितृ पक्ष पूर्ण से पितरों को समर्पित है. पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.
इस बार पितृ पक्ष के पहले दिन बना रहा है विशेष संयोग :
इस बार पितृ पक्ष में विशेष योग बना हुआ है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष पितृ पक्ष में 10 सितंबर 2022 को प्रतिपदा और पूर्णिमा का श्राद्ध एक साथ होगा. इस वर्ष 16 दिन के श्राद्ध होंगे. 16 सितंबर 2022 को सप्तमी का श्राद्ध होगा. 17 सितंबर को तिथि क्षय होने की वजह से इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध नहीं किया जाएगा. 18 सितंबर 2022 को अष्टमी का श्राद्ध किया जाएगा.
इन कामों को करने से पितरों की आत्मा को मिलती है शांति :
पौराणिक ग्रंथों की मानें तो पितृ पक्ष में पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर पिंडदान, तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. वहीं यदि आपको तिथि ज्ञात न हो तो महालया अमावस्या (सर्व पितृ अमावस्या 2022) पर श्राद्ध कर सकते हैं.
पितरों का यदि नाम ज्ञात न हो? :
पितरों का यदि नाम ज्ञात न हो तो उसका भी विधान शास्त्रों में बताया गया है. पितृ पक्ष में पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं. यदि पितरों का नाम आपको मालूम नहीं है तो आप 'अंतरिक्ष' शब्द का उच्चारण कर सकता है. इस शब्द को बोल कर भी आप पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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