पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) चल रहे हैं. शनि देव की पूजा का इसमें विशेष महत्व है. 17 सितंबर को कई ऐसे संयोग बन रहे हैं जो शनि देव की पूजा के महत्व को कई गुना बढ़ा रहे हैं. आइए जानते हैं-
शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से भक्तों पर शनि देव की विशेष कृपा बरसती है. पंचांग के अनुसार 17 सितंबर 2022 को शनिवार के दिन शनि देव की पूजा का उत्तम संयोग बन रहा है. कैसे आइए जानते हैं-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है. इस दिन दोपहर 2 बजकर 16 मिनट तक सप्तमी की तिथि रहेगी इसके बाद अष्टमी की तिथि रहेगी. शनिवार को रोहिणी नक्षत्र रहेगा. इस दिन पूर्ण रात्रि तक सिद्धि योग बन रहा है. जो शनि देव की पूजा के लिए शुभ है.
अंक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मूलांक 8 को शनि का अंक माना गया है. इस दिन 17 तारीख है इसको जोड़ने पर जो मूलांक बनता है वो 8 है. इसके साथ ही इस दिन अष्टमी की तिथि भी है. इस कारण शनि की कृपा पाने के लिए इस दिन विशेष संयोग बन रहा है.
मकर राशि में शनि गोचर कर रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर राशि के स्वामी शनि देव ही है. जब शनि अपनी ही राशि में होते हैं तो ये एक उत्तम संयोग माना जाता है. वर्तमान समय में शनि मकर राशि में ही वक्री चल रहे हैं.
इन 5 राशियों पर है साढ़े साती और ढैय्या :
ज्योतिषीय गणना के अनुसार वर्तमान समय में धनु राशि, मकर राशि और कुंभ राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है. वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या बनी हुई है. इन राशि वालों के लिए शनिवार का दिन शनि की कृपा पाने के लिए उत्तम है.
पितृ पक्ष में शनि पूजा का महत्व :
पितृ पक्ष चल रहा है. शनि को कर्मफलदाता कहा गया है. पूर्वजन्म के कर्मों का संबंध भी शनि से है. इसलिए पितृ पक्ष में शनि की पूजा का भी महत्व है. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, वे इस दिन पूजा और दान आदि का कार्य अवश्य करें.
शनिवार को अवश्य करें ये काम :
17 सितंबर, शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि देव को तेल चढ़ाएं. इसके साथ ही इस दिन शनि चालीसा और शनि मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं. इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद भी करनी चाहिए. परिश्रम करने वाले और कमजोर लोगों की मदद करने से शनि देव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
साभार- एबीपी न्यूज़
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