हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का काफी महत्व है. इसमें मृत पूर्वजों को याद करते हैं और उनके नाम पर श्राद्ध करते हैं.
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बड़ा महत्व है. इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है. श्राद्ध पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक रहता है. पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है. पितृ पक्ष में लोग अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर उन्हें तर्पण कर पिंडदान देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान आदि करने से पितृ देवता अति प्रसन्न होते हैं.
इस बार पितृ पक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक है. इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
पितृ पक्ष में करें ये उपाय :
जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष है. उन्हें ये महा उपाय करने चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष खत्म होता है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन जल में काले तिल, सफेद चंदन, सफेद फूल डालकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं. इसके बाद पेड़ के पास शुद्ध देसी घी का दीपक जलाते हुए ‘ॐ सर्व पितृ देवाय नम:’ मंत्र का जाप करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
किस दिन की जायेगी कौन सी श्राद्ध :
पूर्णिमा की श्राद्ध : 10 सितंबर 2022, शनिवार
प्रतिपदा की श्राद्ध : 11 सितंबर 2022, रविवार
द्वितीया की श्राद्ध : 12 सितंबर 2022, सोमवार
तृतीया की श्राद्ध : 13 सितंबर 2022, मंगलवार
चतुर्थी की श्राद्ध : 14 सितंबर 2022, बुधवार
पंचमी की श्राद्ध : 15 सितंबर 2022, गुरुवार
षष्ठी की श्राद्ध : 16 सितंबर 2022, शुक्रवार
सप्तमी की श्राद्ध : 18 सितंबर 2022, शनिवार
अष्टमी की श्राद्ध : 19 सितंबर 2022, रविवार
नवमी की श्राद्ध : 20 सितंबर 2022, सोमवार
दशमी की श्राद्ध : 21 सितंबर 2022, मंगलवार
एकादशी की श्राद्ध : 22 सितंबर 2022, बुधवार
द्वादशी/सन्यासी की श्राद्ध: 23 सितंबर 2022, गुरुवार
त्रयोदशी की श्राद्ध : 24 सितंबर 2022, शुक्रवार
चतुर्दशी की श्राद्ध : 25 सितंबर 2022, शनिवार
अमावस्या की श्राद्ध, सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या : 26 सितंबर 2022, रविवार
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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