ओपिनियन पोल के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में सबसे ज्यादा 40 फीसदी लोग योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में फिर से देखना चाहते हैं.
उत्तर प्रदेश में अगले साल यानि 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. लेकिन सियासी दलों ने अभी से पूरी ताकत झोंक दी है. अलग-अलग तरह की रैलियों, सम्मेलनों और यात्राओं के माध्यम से अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है. आखिर में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह तो चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा. लेकिन इससे पहले आपका चैनल एबीपी न्यूज़ सबसे सटीक ओपिनियन पोल लेकर आया है.
यूपी चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दलों की कमान अंडर 50 यानी 50 साल से कम उम्र के सेनापतियों के हाथ में है. दूसरे शब्दों में कहें तो यूपी के चुनावी मैदान में नई पीढ़ी पर अपनी पार्टी के भविष्य का पूरा दारोमदार है. ऐसे में इनकी साख भी दांव पर है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसके पीछे बड़ी वजह है. आगामी चुनाव में बीजेपी के चेहरे के रूप में योगी आदित्यनाथ 49 साल साल के हैं. तो वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव की उम्र 48 साल है. वहीं बात कांग्रेस की करें तो पार्टी ने राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को यूपी की बागडोर सौंपी हुई है. प्रियंका गांधी की उम्र 49 साल है. इसी तरह राष्ट्रीय लोकदल के भविष्य की कमान है 42 साल के जयंत चौधरी के हाथ.
जनता की नजर में पसंदीदा सीएम उम्मीदवार :
चेहरा लोकप्रियता
योगी आदित्यनाथ- 40.4
अखिलेश यादव- 28
मायावती- 14.6
प्रियंका गांधी- 3
जयंत चौधरी- 2
अन्य- 12.4
ओपिनियन पोल के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में सबसे ज्यादा 40 फीसदी लोग योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में फिर से देखना चाहते हैं. वहीं सपा के मुखिया अखिलेश यादव को 27 फीसदी से ज्यादा लोग सीएम के फेस के तौर पर देखते हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ 14 फीसदी लोग खड़े नजर आ रहे हैं. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और आरएलडी नेता जयंत चौधरी इस रेस में काफी पीछे दिख रहे हैं.
योगी के सामने पहले से बेहतर प्रदर्शन करने की भी चुनौती :
बात सत्ताधारी बीजेपी की करें तो 2017 में पार्टी ने मुख्यमंत्री के लिए कोई चेहरा सामने नही किया था. लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. बीजेपी, योगी आदित्यनाथ के चेहरे को सामने रखकर चुनावी मैदान में है. 2017 में पार्टी को 403 में 312 सीटें मिली थी. ऐसे में सेनापति की भूमिका में योगी आदित्यनाथ को सिर्फ चुनाव ही नहीं जीतना बल्कि पहले से बेहतर प्रदर्शन करने की भी चुनौती है.
अखिलेश पर टिकी हैं सबकी निगाहें :
अब बात करते हैं मुख्य विपक्षी दल यानी समाजवादी पार्टी की. इस दल के मुखिया अखिलेश यादव पूर्व मुख्यमंत्री होने के साथ ही योगी आदित्यनाथ के हम उम्र भी हैं. अखिलेश यादव को अपने पिता मुलायम सिंह यादव से राजनीति विरासत में मिली है. 2012 का चुनाव भी मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में ही लड़ गया और सपा ने बहुमत से सरकार बनाई. ताजपोशी हुई अखिलेश यादव की. यानी नेताजी ने अपनी गद्दी बेटे को सौंप दी. हालांकि उस सरकार का कार्यकाल ख़त्म होने से पहले पारिवारिक मतभेद हुए और पार्टी की कमान अखिलेश के हाथ आ गई. 2017 का चुनाव अखिलेश के नेतृत्व में लड़ा गया लेकिन पार्टी सिर्फ 47 सीट जीतकर विपक्षी दल तक सीमित हो गयी. 2019 में भी पार्टी को निराशा का सामना करना पड़ा. अंदरखाने अखिलेश के नेतृत्व और रणनीति पर भी सवाल उठने लगे. अब देखना होगा कि 2022 में अखिलेश पार्टी को सेनापति के रूप में कहां ले जा पाते हैं.
मायावती अभी तक जमीन पर नहीं उतरी हैं :
विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती अभी तक जमीन पर तो नहीं उतरी हैं. लेकिन सतीश चंद्र मिश्रा के नेतृत्व में उनकी पार्टी लगातार सम्मेलन कर रही हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के लिए बीएसपी क्या रणनीति बनाती है.
कांग्रेस के सामने तो अस्तित्व की लड़ाई :
उत्तर प्रदेश में 32 साल से गद्दी से दूर कांग्रेस के सामने तो अस्तित्व की लड़ाई है. 2022 की जंग में सेनापति हैं प्रियंका गांधी वाड्रा. पार्टी के लोग उनमें इंदिरा गांधी की छवि भी देखते हैं. योगी और अखिलेश की हम उम्र प्रियंका अब यूपी में एक्टिव हैं. संगठन को मजबूत करने के लिए मेहनत कर रही हैं. पार्टी ने प्रदेश की कमान अजय कुमार लल्लू को सौंपी हुई है जो खुद 42 साल के हैं. पार्टी को फर्श से अर्श तक पहुंचाना आसान नहीं. 2019 में भी प्रियंका यूपी के मैदान में थीं लेकिन अपने भाई की सीट भी नहीं बचा सकीं और पार्टी को सिर्फ 1 सीट के साथ संतोष करना पड़ा. हालांकि कहा जा सकता है की 2017 के मुकाबले इस बार पार्टी काफी मेहनत कर रही है. 2017 में पार्टी ने 7 सीटें जीती थी लेकिन उनमें भी दो विधायक अब उनके अपने न रहे.
जयंत चौधरी के लिए नई पारी है :
अब बात करते हैं राष्ट्रीय लोकदल की. हाल ही में चौधरी अजीत सिंह के निधन के बाद पार्टी की जिम्मेदारी उनके बेटे जयंत चौधरी पास है. 2017 के चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी. हालांकि इस बार पार्टी के नेताओं का मानना है कि पश्चिमी यूपी समेत अन्य जगह वो किला फतेह करेंगे. इस उम्मीद की वजह है किसान आंदोलन. जयंत के लिए ये नई पारी है. ऐसे में पार्टी का प्रदर्शन उनका और पार्टी दोनों का भविष्य तय करेगा.
नोट- सर्वे में यूपी की सभी 403 विधानसभा सीटों पर 44 हजार 436 लोगों से बात की गई है.
साभार- एबीपी न्यूज़
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