गरुड़ पुराण एक ओर मृत्यु के बाद की स्थितियों और कर्मों के हिसाब से मिलने वाले फल के बारे में बताता है, तो वहीं नीति और नियम सिखाकर लोगों को अच्छाई और धर्म की राह पर चलने के लिए प्रेरित भी करता है.
गरुड़ पुराण एक ऐसा ग्रंथ है जो तमाम रहस्यमयी बातों से पर्दा हटाता है. गरुड़ पुराण के अधिष्ठाता देव भगवान विष्णु हैं. इस महापुराण भगवान विष्णु और उनके वाहन पक्षीराज गरुड़ की वार्तालाप का विस्तार से जिक्र किया गया है. गरुड़ पुराण एक ओर मृत्यु के बाद की स्थितियों और कर्मों के हिसाब से मिलने वाले फल के बारे में बताता है, तो वहीं नीति और नियम सिखाकर लोगों को अच्छाई और धर्म की राह पर चलने के लिए प्रेरित भी करता है.
गरुड़ पुराण में ऐसी तमाम बातें लिखी हैं जो आपको भविष्य की तमाम मुसीबतों से बचा सकती हैं और आपके जीवन को आसान बना सकती हैं. यहां जानिए इस महापुराण में बताई गईं उन आदतों के बारे में जो व्यक्ति से उसका सौभाग्य और विद्या छीन लेती हैं और व्यक्ति रोग और शत्रुओं से घिर जाता है.
1. शास्त्रों में माता लक्ष्मी को सौभाग्य और वैभव प्रदान करने वाली देवी के रूप में चित्रित किया गया है. माता लक्ष्मी को स्वच्छता बहुत पसंद है. ऐसे लोग जो संपन्न होने के बावजूद गंदे वस्त्र पहनते हैं, अपने घर में साफ सफाई नहीं रखते, अपने शरीर की सफाई ठीक से नहीं करते, मां लक्ष्मी ऐसे लोगों का सौभाग्य उनसे छीन लेती हैं. समाज में भी उन्हें सम्मान भी प्राप्त नहीं होता और धीरे धीरे सारा वैभव भी नष्ट हो जाता है.
2. कहा जाता है कि यदि व्यक्ति लगातार प्रयास करें तो किसी भी कार्य में दक्षता हासिल कर सकता है. लेकिन यदि हम अभ्यास छोड़ दें तो उस विद्या को भी भूल सकते हैं, जिसे सीखने में हमने वर्षों कड़ी मेहनत की. अभ्यास न करने की आदत लोगों से उनका ज्ञान छीन लेती है.
3. कहा जाता है कि पेट आधी बीमारियों की जड़ होता है. अगर व्यक्ति का पेट ठीक हो, तो काफी बीमारियां खुद ही नियंत्रित हो जाती हैं. पेट को ठीक रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम संतुलित और सुपाच्य भोजन खाएं. गरिष्ठ और चिकनाई युक्त भोजन करने वाले और हर समय खाने के बारे में ही सोचने वाले लोग जल्द ही बीमारी की चपेट में आ जाते हैं.
4. यदि इस समाज में बुरे लोगों के बीच सुरक्षित रहना है, तो आपको थोड़ा चतुर होना पड़ेगा. वर्ना समाज में आपका फायदा उठाने वाले तमाम शत्रु तैयार हो जाएंगे. यदि आप चतुरता नहीं दिखाएंगे तो हानि हमारी ही होती है. इसलिए जैसा शत्रु है, उसके अनुसार नीति का उपयोग करके उसे नष्ट करने की कला आनी चाहिए.
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