नेपाल देश में पिछले कई दिनों से राजनितिक माहौल ठीक नहीं चल रहा है. वहां की राजनीति दिन प्रति दिन सुलझने के बजाये उलझती ही जा रही है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और विपक्षी दलों में तनाव बढ़ता ही जा रहा है. इस समय बीते शुक्रवार को नेपाल में सियासी उठापटक के बीच राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने संसद भंग करते हुए मध्यावधि चुनाव का ऐलान कर दिया है.
आपको बता दें कि नेपाल में अब 12 से 19 नवंबर के बीच चुनाव की घोषणा की गई है. राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शेर बहादुर देउबा और केपी शर्मा ओली दोनों के सरकार बनाने के दावे को खारिज कर दिया. राष्ट्रपति कार्यालय के द्वारा दिए गये बयान में बताया गया कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया है और मध्यावधि चुनाव की घोषणा कर दी हैं.
आपको बता दें कि नेपाल में यह दूसरी बार है जब ओली ने संसद विघटन किया है. नेपाल में ओली सीपीएन – यूएमएल के अध्यक्ष हैं. 14 मई को संविधान के अनुच्छेद 76 (3)के अनुसार ओली को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाया गया. हलाकि वो शपथ के चार दिन पहले हुए विश्वास मत जितने में असफल रहे थे. आपको बता दें कि नेपाल में सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 275 में से 121 सीटों के साथ सिपिएन – यूएमएल सबसे बड़ा दल था लेकिन बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए सिर्फ 136 सीटों की ही आवश्यकता थी और वहीं देवुबा 149 सांसदों के हस्ताक्षर किये गये पत्र को लेकर राष्ट्रपति कार्यालय पहुंचे थे. पर उनसे पहले ही ओली ने अपना पत्र राष्ट्रपति के सामने दिखा के सरकार बनाने का दावा कर दिया था.
साभार- द चौपाल
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