आंखों से देख न पाने वालों को फिर से रोशनी देना कभी विज्ञान कथाओं का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन हाल की तकनीकी सफलता ने इस सपने को हकीकत में सच कर दिखाया है। हाल ही एक अग्रणी कंपनी ने एक ऐसा उपकरण बनाया है जिसकी सहायता से मोतियाबिंद जैसी उम्र से जुड़ी हुई दृष्टिहीनता से जूझ रहे रोगी फिर से देख सकेंगे।
हॉलीवुड फिल्म स्टार ट्रेक के विजन हेडगेयर की तर्ज पर बनाया गया यह चश्मेनुमा उपकरण बाहरी दुनिया से प्राप्त दृश्यों की जानकारी का अनुवाद छवियों के रूप में करता है जिसे पहनने वाला अनुभव कर सकता है। तकनीकी फर्म पिक्सियम विजन की ‘बायोनिक’ प्रणाली के परीक्षण में भाग लेने वाले फ्रांस के एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजेनेरेशन (एएमडी) से पीडि़त पांच रोगी इस डिवाइस का उपयोग कर पढऩे में सक्षम थे। डिवाइस की चिप में ४०० इलेक्ट्रोड्स हैं जो मस्तिष्क में छवियों को ले जाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इसे रेटिना के पीछे लगाया जाता है।
ऐसे करता है काम यह एक छोटे कैमरा प्रोसेसर और वीडियो कैमरे से जुड़ा है। इसे पहनने वाले व्यक्ति की आंखों के रेटिना के पीछे एक लाइट एक्टिवेटेड कम्प्यूटर चिप लगाई जाती है जहां क्षतिग्रस्त फोटोरिसेप्टर पाए जाते हैं। यह डिवाइस एआई से संचालित एल्गोरिदम के माध्यम से पॉकेट कंप्यूटर की मदद से काम करती है। यह नन्हा प्रोसेसर जानकारी को इन्फ्रारेड छवि में परिवर्तित कर आंखों में प्रवाहित करता है और व्यक्ति मौजूदा सामग्री को देख सकने में सक्षम होता है।
शोधकर्ताओं ने इसे विजन बायोनिक नाम दिया है। चश्मे जैसा यह उपकरण एक वीडियो कैमरा के साथ फिट है। कैमरा एक प्रोसेसर के जरिए छवियों को रिले कर दिमाग के उस हिस्से में भेजता है जो हमें देखने में मदद करता है।
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