मेरी गलतियां तो मशहूर हैं ज़माने में, फ़िक्र तो वो करें जिनके गुनाह है पर्दे में

मैं भारत वर्ष हूं उत्कर्ष हूं दुनियां के फलक पर अपनी बिद्ववता का लोहा मनवा चुका सहर्ष‌ हूं। सदियों से त्रासदियों को झेलकर बिघटन के विनाशकारी खेला देख कर आज भी आन बान शान स्वाभिमान के साथ वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र का चादर ओढ़े अपनी पहचान बदस्तूर कायम रखा हूं। मै भाग्यशाली हूं तमाम अवतारी शक्तियों का शानिध्य जो हमे प्राप्त हुआ। दुनियां की मिसाल गंगा मां मेरे वजूद में चार-चांद लगाती है तो अदृश्य सरस्वती जमुना प्रयाग राज में संगम करती है यहां देवलोक से साक्षात देवगण उतर‌कर बिहन्गम अद्भूत  मिलन का गवाह बनते है देवगण भी मेरा गुणगान करते हैं गायन्ती देवा किल गीत कानी धन्यास्तु हे भारत भुमि भागे। स्वर्गा पवर्गा स्पद हेतु भूते भवन्ती भूय पुरुषा सुरत्वा।

धरती धरा पर अत्याचारियों का संहारक हूं मैं भारत हूं। हमने महाभारत भी देखा है विध्वंसकारियों कि शरारत भी देखा है, रामराज्य का आनन्द भी लिया, परम योगियों फकीरो के साथ ही विदेशी लुटेरों का आतंक भी देखा है। मेरे आत्म विश्वास के साथ छल कर अखंडता को बिकृत करने वालों का जुल्म भी सहा है। फिर भी हिमालय के तरह अडिग अखंड प्रचन्ड तेज के साथ तमाम विकृतियों को सहेजे आज भी समदर्शी ब्यवस्था में असहज भाव लिये जिन्दा हूं मैं भारत हूं। 

मुझे बार बार बिखन्डित किया गया लूटा गया बर्बाद किया गया मेरी सौभाग्यशाली धरोहरों को तहस नहस किया गया‌ मुझे आर्यावर्त से भारत नाम बदलना पड़ा असहृय पीड़ा को झेलते हुये यवनों मुगलों अंग्रेजो के साथ वर्षों रहना पड़ा। मैं मजबूर था मेरा नामकरण सब अपने हिसाब से करते रहे। किसी ने इन्डिया कहा हिन्द तो किसी ने हिन्दुस्तान सबने रौंदा मेरा स्वाभिमान। वर्षों प्रताड़ना को झेलने के बाद जब आजाद हुआ तब तक सब कुछ बदल गया अफगानिस्तान म्यामार। श्रीलंका पाकीस्तान के साथ ही मेरी शान कश्मीर को भी अलग कर दिया गया। 

सब कुछ सहज भाव से ग्रहण करने के बाद आज एक बार फिर‌ ‌ सिलसिलेवार अपना खोया वजूद याद आ रहा है। बृहद मेरा नक्सा अब वजूद में आयेगा इसकी आस विश्वास के साथ जाग उठा है। तेरा वैभव अमर रहे, मां हम दिन चार रहे न रहे का जिस दिन से यह उद्घघोष नौजवानों का हूंकार  कानों में टकराया है मन प्रफुल्लित हो उठा है। परिवर्तन नर्तन करता चला आ रहा है, गुलाम वंशियों को यह नहीं भा रहा है।

कश्मीर की तकदीर में केशर की सुगंध वापस आ गयी, तो आयोध्या में आराध्या के अवतरण स्थल पर भब्य राम मन्दिर निर्माण से समग्रता लिये जनमानस में खुशी छा गयी। सदियों से श्रीचरण का पांव पखारती सरयू नदी भी इस‌ सदी में धन्य हो गयी। मैं ही इस देश के परिवेश में उन्मेष कि अंगड़ाई लेने वालों का कारक हूं मैं भारत हूं। मेरे वजूद को मिटाने की बारहा कोशिशें हुयी लेकिन निरन्तर चरैवेति चरैवेति को आत्मसात करते हुते प्रगति के तरफ बढता रहा, इस धैर्य के साथ की बीती ताहि बिसार देहु आगे की सुधि लेहु। आज अपना स्वतन्त्र वजूद है लेकिन सब कुछ अपना खुद है। मेरी सीमाओं के प्रहरी सिंहनाद कर रहे हैं, दुश्मन को ललकार रहे हैं, फिर भी मैं आहत हूं मैं भारत हूं।

मैं तो सार्वभौम सत्ता‌‌ का अनुगामी रहा हूं। रामलीला से लेकर श्री कृष्ण लीला का सहभागी रहा हूं। विदेशी आक्रांताओं के कहर से थरथराती आस्था में भी देशभक्तौ का स्वामी रहा‌ हूं बहुत कुछ देखा है बहुत कुछ देख रहा हूं। जब‌तक यह सृष्टि रहेगी बहुत कुछ देखना है सतयुग  देखा द्वापर देखा‌ त्रेता भी देखा कलियुग का घोर अनर्थ भी देख रहा हूं।‌ वर्तमान का इम्तिहान चल रहा‌ है। यह सदी भयानक त्रसादी का गवाह बनकर महाभारत से भी बिनाशकारी कोरोना के कहर का गवाह बन रही है। शमशान की चिता दिन-रात दहक रही है। देश वासीयों के लिये हसरत भरी मैं चाहत हूं मैं भारत हूं। सारे बिप्लवकारी ब्यवसथा के बाद भी जन जन के रोम रोम से निकलता गुणगान सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा सुनकर आह्लादित हो उठता हूं सारे दर्द का अकेले निवारक हूं मैं भारत हूं।

 जयहिंद🌹🙏🏻🙏🏻


जगदीश सिंह

मो0-7860503468

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