मोहन डेलकर दादरा और नगर हवेली लोकसभा क्षेत्र से 7 बार सांसद रहे हैं. उनके पिता संजीभाई डेलकर भी कांग्रेस से दादरा और नगर हवेली के सांसद रहे हैं. मोहन डेलकर भी कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियों में रहे हैं, लेकिन अंतिम चुनाव उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही जीता था.
मोहन डेलकर दादरा और नगर हवेली लोकसभा क्षेत्र से 7 बार सांसद रहे हैं. उनके पिता संजीभाई डेलकर भी कांग्रेस से दादरा और नगर हवेली के सांसद रहे हैं. मोहन डेलकर भी कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियों में रहे हैं, लेकिन अंतिम चुनाव उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही जीता था.
मोहन डेलकर मुंबई में अपने किसी काम के सिलसिले में गए हुए थे, जहां वे मुंबई के मरीन ड्राइव क्षेत्र में स्थित एक होटल 'सी ग्रीन व्यू' की पांचवी मंजिल के एक कमरे में ठहरे हुए थे. इसी दौरान उनकी सुसाइड की खबर उनके एक समर्थक ने दी. सूचना मिलते ही मुंबई पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस को वहां से गुजराती में लिखा एक सुसाइड नोट भी मिला है. फिलहाल पुलिस उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है ताकि मौत के असली कारण का पता लगाया जा सके.
कौन हैं मोहन डेलकर?
दादरा एवं नगर हवेली और दमन-दीव दोनों मिलकर एक केंद्र शासित प्रदेश हैं. यहीं से मोहन डेलकर दादरा और नगर हवेली लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय सांसद हैं. उनके पिता संजीभाई डेलकर भी कांग्रेस से दादरा और नगर हवेली के सांसद रहे हैं. मोहन डेलकर भी कांग्रेस और भाजपा जैसी पार्टियों में रहे हैं लेकिन अंतिम चुनाव उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ही जीता था.
साल 1989 में मोहन डेलकर पहली बार इसी संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. उसके बाद वे कुल 7 बार यहां से सांसद बने हैं. मोहन डेलकर ने अपनी खुद की पार्टी की भी स्थापना की थी, जिसका नाम उन्होंने 'भारतीय नवशक्ति पार्टी' रखा था. इस पार्टी से भी वे सांसद बने थे. साल 2009 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी. लेकिन किन्हीं कारणों से कांग्रेस छोड़ दी और पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 के चुनाव में वो बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे और जीते भी.
मोहन डेलकर का जन्म दादरा और नगर हवेली के सिलवासा में 19 दिसंबर, 1962 के दिन हुआ था. 18 मार्च 1989 में उनकी शादी कलाबेन डेलकर के साथ हुई. उनके के बेटा और एक बेटी भी है. मोहन डेलकर ने BA तक की पढ़ाई की है. अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में वे साल 1986 से लेकर 1989 तक यूथ कांग्रेस की दादरा एवं नगर हवेली यूनिट के जनरल सेक्रेटरी और फिर अध्यक्ष भी रहे.
1989 में वे पहली बार लोकसभा चुनाव लड़कर दादर और नगर हवेली से सांसद बने. 1991 में वे दसवीं लोकसभा के लिए एक बार फिर सांसद चुने गए. 1996 में 11 वीं लोकसभा के लिए वे तीसरी बार सांसद चुने गए. 1998 में हुए 12वीं लोकसभा चुनावों में भी वे विजयी हुए. 1999 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव हुए. इस बार भी वे दादरा एवं नगर हवेली से विजयी हुए. साल 2004 में भी वे लोकसभा चुनाव जीते. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में वे सातवीं बार सांसद बने.
मोहन डेलकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत से ही आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ते रहे हैं. वे साल 1985 से ही आदिवासी विकास संगठन के अध्यक्ष भी हैं. वे मजदूर अधिकारों के लिए भी अपनी नौजवानी के दिनों में लड़ते रहे थे.
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