प्रयागराज स्थित द्वादश माधव


प्रयाग को तीर्थों का राजा इसी लिए कहा जाता है कि यहाँ पर भगवान श्रीहरि विष्णु स्वयं अधिष्ठाता के रूप मे विराजमान हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री ब्रम्हा जी ने जब गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर सृष्टि का प्रथम यज्ञ किया था तब उस यज्ञ की रक्षा का भार भगवान श्री विष्णु ने ग्रहण किया था और अपने बारह स्वरूपों-त्रिवेणी माधव, शँख माधव, सँकष्टहर माधव, वेणी माधव, असि माधव, मनोहर माधव, अनंत माधव, बिंदु माधव, पद्म माधव, गदा माधव, आदि माधव, चक्र माधव के द्वारा पूरे सौ वर्षों तक पावन यज्ञ की पवित्रता एवं सुरक्षा को अक्षुण्य रखा।


स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी जी के अनुसार सृष्टि रचना को ब्रह्माजी ने यज्ञ के लिए त्रिकोणात्मक वेदी बनाई थी। उसे अंतर्वेदी, मध्य वेदी, बर्हिवेदी के रूप में जाना जाता है। बहिर्वेदी में झूंसी, अंतर्वेदी में अरैल व मध्यवेदी दारागंज का क्षेत्र है। हर क्षेत्र में चार-चार माधव स्थित हैं। मत्स्य पुराण में लिखा है कि द्वादश माधव की परिक्रमा करने वाले को सारे तीर्थो व देवी-देवताओं के दर्शन का पुण्य प्राप्त होता है।


द्वादश माधव परिक्रमा की प्राचीन परंपरा रही है। मान्यता है कि संगम तट पर निवास करने वाले महर्षि भारद्वाज सहित अनेक ऋषि-मुनि द्वादश माधव की परिक्रमा करते रहे हैं। लेकिन कालांतर में धीरे-धीरे परिक्रमा का दौर समाप्त हो गया। मुगल व अंग्रेजी शासनकाल में द्वादश माधव की मंदिरों को काफी नुकसान पहुंचाया गया, जिससे परिक्रमा की परंपरा रुक गई। देश को आजादी मिलने के बाद संत प्रभुदत्त ब्रह्माचारी ने द्वादश माधव की खोज की। फिर शंकराचार्य निरंजन देवतीर्थ, धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ 1961 में माघ मास में द्वादश माधव की परिक्रमा आरंभ कराई। तब संतों व भक्तों ने मिलकर तीन दिन पदयात्रा करते हुए परिक्रमा पूरी की। पुनः यह परिक्रमा 1987 तक चलकर बंद हो गई। फिर तीन साल के अंतराल के बाद 1991 में स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्माचारी ने परिक्रमा कराई, उसके बाद से यह बंद था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि व महामंत्री महंत हरि गिरि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को परिक्रमा के धार्मिक महत्व से जब अवगत कराया और द्वादश माधव मंदिरों का जीर्णोद्धार कराकर परिक्रमा शुरू कराने की मांग की तब मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने परिक्रमा पुनः शुरू कराने की पहल की और 2018 से पुनः परिक्रमा का शुभारम्भ हुआ | इसी क्रम में पाच दिवसीय भगवान श्री द्वादश माधव वार्षिक परिक्रमा 10 जनवरी 2020 को संपन्न हुआ।


प्रयागराज में कहाँ-कहाँ स्थित हैं द्वादश माधव ?


वेणीमाधव : दारागंज स्थित वेणी (त्रिवेणी) तट पर वेणी माधव विद्यमान है। यह प्रयाग के नगर देवता हैं।


त्रिवेणी माधव: यह गंगा-यमुना के मध्य में विराजमान हैं।


अनंत माधव : दारागंज मुहल्ले में अनंत माधव का प्राचीन मंदिर है।


असि माधव : शहर के ईशान कोण में स्थित नागवासुकी मंदिर के पास असि माधव वास करते हैं।


मनोहर माधव : जानसेनगंज मुहल्ले में मनोहर माधव का वास है। द्रव्येश्वरनाथ महादेव मंदिर में लक्ष्मीयुक्त मनोहर माधव हैं।


बिंदु माधव : शहर के वायव्य कोण में द्रौपदी घाट के पास बिंदु माधव का निवास है।


श्रीआदि माधव : संगम के मध्य जल रूप में आदिमाधव विराजमान हैं।


चक्र माधव : प्रयाग के अग्नि कोण में अरैल में स्थित हैं चक्र माधव। भगवान सोमेश्वर के मंदिर में लगा हुआ है इनका पावन स्थल।


श्रीगदा माधव : यमुना पार के क्षेत्र स्थित छिवकी रेलवे स्टेशन के पास गदा माधव का प्राचीन मंदिर है।


पद्म माधव : यमुनापार के घूरपुर से आगे भीटा मार्ग पर वीकर देवरिया ग्राम में स्थित हैं पद्म माधव।


संकटहर माधव : झूंसी में गंगा तट पर स्थित वटवृक्ष में संकटहर माधव का वास है।


शंख माधव : झूंसी के छतनाग में मुंशी के बगीचे में प्रसिद्ध है, जिसे शंख माधव की स्थली माना जाता है।



प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)


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